स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ हैं आशा, फिर भी सरकार नहीं ले रही सुध

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने 12 सूत्रीय मांगोें को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ 58वें दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रखा। संगठन की अध्यक्ष प्रभा चौधरी ने कहा कि आशा कार्यकत्रियां स्वास्थ्य विभाग की सबसे अहम इकाई हैं। गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने और सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन आशाओं को सरकार उचित मानदेय नहीं दे रही है। मात्र दो हजार रूपये के वेतन में आशाओं को परिवार का भरण पोषण करने में दिक्कतें हो रही है।
मंगलवार को तहसील परिसर में आशाओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। अध्यक्ष प्रभा चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा सभी विभागों का वेतन भत्ता बढ़ाया जा रहा है, लेकिन जो आशा धरातल पर काम कर रही है उनको देने के लिए सरकार के पास बजट नहीं है। आशाओं के बारे में कहा जाता है कि आशा स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी होती है लेकिन जिसकी रीढ़ की हड्डी ही टूट जायेगी तो वो कैसे खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग भी आशाओें के बिना अधूरा है। आशाओं की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो रही है, लेकिन सरकार गूंगी बहरी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार 21 हजार रूपये मानदेय, सरकारी कर्मचारी घोषित, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान, 10 लाख का बीमा, 50 लाख का स्वास्थ्य बीमा, कोरोना काल में ड्यूटी के 10 हजार रूपये सहित 12 सूत्रीय मांगों को लेकर जल्द से जल्द शासनादेश जारी करें। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला,नीलम कुकरेती, मीना, सुमित्रा भट्ट, कुसुम, धनेश्वरी, रोशनी, कल्पना बिष्ट, मिनाक्षी, गोदाम्बरी, यशोदा जखमोला, सुमन रौथाण, विमला जोशी, सीमा शाही, मंजू नेगी, संजू रावत, मंजू, ऊषा, दीपा, उपस्थित थे।

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