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आईएएफ ने सतह से सतह मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का किया सफल परीक्षण, सेना की बढ़ेगी ताकत

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कोलकाता , एजेंसी। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास ब्रह्मोस मिसाइल के सतह से सतह संस्करण का सफल परीक्षण किया। मिसाइल फायर सफल रहा और मिशन ने अपने सभी उद्देश्यों को हासिल कर लिया।
विस्तारित रेंज की यह नई ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 450 किलोमीटर तक के लक्ष्य को निशाना बना सकती है। सेना की ब्रह्मोस मिसाइल रेजिमेंट ने यह सफल परीक्षण पिन प्वाइंट सटीकता के साथ किया। इसके लिए एक अन्य द्वीप पर लक्ष्य रखा गया था, जिसे मिसाइल ने सटीक निशाना बनाया। इसके साथ भारतीय सेना के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है।
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल दुनिया की सबसे तेज गति से मार करने वाली मिसाइल है। भारतीय सेना ने इसके भूमि हमले संस्करण का पहला परीक्षण 24 नवंबर 2020 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से ही किया था।
भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया है। यह कंपनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया का साझा उद्यम है।
ब्रह्मोस देश की सबसे आधुनिक और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल पहाड़ों की छाया में छुपे दुश्मनों के ठिकानों को निशाना बना सकती है। यह एक ऐसी मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीन से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसे तीनों सेनाओं में शामिल किया गया है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस को भारत के रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओएम द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया है। इसका पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था। इसके लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और रूस के प्रथम डिप्टी डिफेंस मंत्री एनवी मिखाइलॉव ने एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
ब्रह्मोस मिसाइल मध्यम रेंज की रेमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, युद्धपोतों, लड़ाकू विमानों और जमीन से दागा जा सकता है। क्रूज मिसाइल उसे कहते हैं जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और रडार की आंख से बच जाती है। सूत्रों ने बताया कि मिसाइल पहले से ही थलसेना, नौसेना और वायुसेना के पास है।
ब्रह्मोस मिसाइल कितनी शक्तिशाली है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन की सेना यह कहती रहती है कि अरुणाचल प्रदेश में सीमा पर ब्रह्मोस की तैनाती के बाद से उनके तिब्बत और यूनान प्रांत पर खतरा मंडराने लगा है।

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