आईजी कानपुर ने किया स्पष्ट- क्यों सस्पेंड हुए चौबेपुर एसओ
कानपुर, एजेंसी। चौबेपुर के बिकरू गांव में मुठभेड़ के दौरान सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों के शहीद होने की घटना में शामिल रहे हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तलाश में जुटी पुलिस कड़ी दर कड़ी आगे बढ़ रही हैं, हालांकि पुलिस अभी विकास को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस ने घटना में शामिल रहे विकास के 21 साथियों की सूची तैयार की है, जिसमें शनिवार रात एक साथी को मुठभेड़ में पकड़ा है, जबकि दो साथियों को घटना के दूसरे दिन ही मुठभेड़ में मार गिराया था। एडीजी ने विकास दुबे को मोस्टवांटेड अपराधी की सूची में शामिल करके पचास हजार से बढ़ाकर इनामी राशि एक लाख रुपये कर दी है।
बिकरू गांव पहुंचे आईजी मोहित अग्रवाल ने स्पष्ट करते हुए कहा कि मीडिया में प्रसारित चौबेपुर एसओ विनय तिवारी को मुखबिरी के शक में निलंबित करने की बात सही नहीं है।
एसओ को दबिश डालने गई टीम को संकट में छोड़कर भागने, एक दिन पहले हुई घटना को छिपाने और क्षेत्र में इतना बड़ा सूचीबद्घ अपराधी होने के बावजूद उच्चाधिकारियों को सूचित न कराने के आरोपों में निलंबित किया गया है। रविवार दोपहर बाद एडीजी जेएन जेएन सिंह भी बिकरू गांव पहुंचे और अबतक की कार्रवाई के बाबत जानकारी दी। इसके बाद कानपुर देहात एसपी अनुराग वत्स के साथ शिवली थाने जाकर विकास दुबे और उसके 21 साथियों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि पुलिस पहले कार्रवाई करती है तो यह परिणाम न होता।
नेपाल बर्डर के आसपास मोस्टवांटेड के पोस्टर चस्पा किये गए हैं, इसके साथ ही मध्यप्रदेश और राजस्थान के अधिकारियों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। विकास की तलाश में 40 टीमें दिन रात काम कर रही हैं। आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने बिकरू पहुंचकर पुलिस टीम से अबतक गांव की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि घटना में चौबेपुर थाना संदेह के दायरे में है और सभी पुलिस कर्मचारियों की भूमिका की जांच कराई जा रही है। जांच में यदि कोई दोषी पाया गया तो उसपर मुकदमा दर्ज करने के साथ नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा।