उत्तराखंड

आईआईएम ने किया मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने को प्रोटोटाइप परीक्षण

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काशीपुर। भारतीय प्रबंधन संस्थान ने मानव-पशु संघर्ष के मुद्दे को हल करने के लिए डिजाइन इनोवेशन सेंटर (डीआईसी) के सहयोग से विकसित उत्पादों में से एक का प्रोटोटाइप परीक्षण किया है। यह स्वचालित है जो जानवर की उपस्थिति को भांप लेता है और सायरन ध्वनि का उपयोग करके उन्हें दूर भगा देता है। नवशाय डिजायन इनोवेशन सेंटर भारतीय प्रबंध संस्थान ने अपनी पहल के माध्यम से समाज में अच्छा प्रभाव डालने और राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनने का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में नवशाय ने परिवर्तन क्लब के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दे को साझा किया। साथ ही फरवरी 2021 में प्रयास-3 कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें देश से 800 से अधिक टीमों ने भाग लिया और व्यापक स्क्रीनिंग के दो दौर के बाद, फाइनल के लिए 10 टीमों का चयन किया गया। इसके बाद में डीआईसी, आईआईएम काशीपुर ने कई दौर के पुनरावृत्तियों के बाद एक प्रोटोटाइप के रूप में विकसित किया। प्रोटोटाइप का नाम श्परिणाया प्रतिश् है। यह एक स्वचालित है जो जानवर की उपस्थिति को भांप लेता है और सायरन ध्वनि का उपयोग करके उन्हें दूर भगा देता है। यह बैटरी की ऊर्जा पर काम करता है और भविष्य में इसे सौर ऊर्जा से भी संचालित करने की योजना है। यह पीआईआर-आधारित सेंसर का उपयोग करता है और वर्तमान में 100 डिग्री के क्षेत्र दृश्य के साथ 12 मीटर की दूरी तय करता है।उत्तराखंड में मानव-पशु संघर्ष की आवृत्ति अधिक है और इस मुद्दे के प्रभाव छोटी चोटों से लेकर मनुष्यों और जानवरों दोनों तक की मृत्यु तक हो सकती है। षि भूमि के नष्ट होने की भी प्रबल संभावना बनी रहती है। यह उत्पाद मौजूदा कमियों को दूर करेगा। साथ ही यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसकी लागत प्रभावी है। नवाशाय, डीआईसी आईआईएम काशीपुर की समन्वयक प्रो़कुमकुम भारती ने कहा उम्मीद है कि यह उस समस्या का एक समाधान है जो देश के हिमालयी क्षेत्र में मनुष्य और पशु के सह-अस्तित्व को प्रभावित कर रही थी। उन्होंने कहा की आईआईएम काशीपुर में हमेशा व्यावहारिक वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए समाज के साथ काम करने का प्रयत्न किया जाता है।

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