उत्तराखंड

ओबीस जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने में हो रही अनियमितताओं पर तत्काल लगे रोक

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : शैलशिल्पी विकास संगठन के अध्यक्ष विकास कुमार आर्य ने कहा कि प्रदेश सरकार की अस्पष्ट नीति के कारण तहसील स्तर पर (विशेष रूप से कोटद्वार) अपात्र लोगों को धड़ल्ले से ओबीसी जाति के प्रमाण पत्र निर्गत किये जा रहे है।
कहा कि शिल्पकार जाति के लोहार, सोनार, टम्टा, आर्य-शिल्पकार, रुड़िया, कोली, बढ़ई, ओजी या बाजगी, धुनार आदि दस्तकार जातियों की कुल 48 उपजातियों को अनुसूचित जाति (शिल्पकार) के अधीन पूर्व की भांति माना है, चूंकि उत्तराखंड में शिल्पकार नाम की अलग से कोई जाति ना होकर शिल्पकार जातियों का एक समूह है, जिन्हें आजादी के पूर्व से ही अनुसूचित जाति (शिल्पकार) के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो मैदानी क्षेत्रों की ना होकर पर्वतीय मूल की रही है। आर्य ने कहा कि विगत कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि अनुसूचित जाति (शिल्पकार) में सम्मिलित 48 उपजातियों के अंतर्गत आने वाले लोहार, सुनार, बढ़ई, टम्टा आदि जातियों को तहसील स्तर (मुख्य रूप से कोटद्वार) पर ओबीसी के जाति प्रमाण पत्र धड़ल्ले से निर्गत किये जा रहे हैं, जबकि पर्वतीय मूल की यह जातियां अनुसूचित जाति (शिल्पकार )के अंतर्गत आती हैं, पिछड़ी जातियों/वर्गों की अधिसूचना संख्या 371/(2)/2010 दिनांक 22 मार्च 2010 द्वारा पुनरीक्षित अनुसूची में लोहार, सुनार, बढ़ई आदि जातियां सम्मिलित है, जो कि उत्तर-प्रदेश की पूर्ण जातियां हैं। इसी अनुसूची का गलत फायदा उठाकर पर्वतीय क्षेत्रों के अनुसूचित जाति (शिल्पकार) के कुछ शातिर लोगों द्वारा प्रशासन को गुमराह कर, तहसील स्तर पर ओबीसी के जाति प्रमाण पत्र धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं ,जो कि आरक्षण के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार तत्काल पर्वतीय मूल के लोहार, सुनार, बढ़ई, टम्टा आदि अनुसूचित जाति (शिल्पकार) वर्ग के लोगों को निर्गत किए गए ओबीसी जाति प्रमाण पत्रों की जाँच कर, फर्जी ढंग से बनाये गये प्रमाण पत्रों को निरस्त करे, तथा पिछड़ी जातियों की अनुसूची में अंकित पर्वतीय मूल के लोहार, सुनार, टम्टा, बढ़ई आदि दस्तकार जातियों के सम्मुख उत्तराखंड को छोड़कर टिप्पणी अंकित करवाएं। ताकि तहसील स्तर पर जाति प्रमाण पत्र निर्गत होने में हो रही अनियमितताओं पर रोक लग सके। आर्य ने कहा कि अगर प्रशासन मात्र कोटद्वार तहसील में ही सही ढंग से जाँच करे तो यंहा सैकड़ों ऐंसे परिवार मिलेंगे जंहा एक भाई ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रहा हैं तो दूसरा भाई अनुसूचित(शिल्पकार) आरक्षण का लाभ ले रहा है, आरक्षण जैसे गंभीर विषय में ऐंसी स्थिति उचित नही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!