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बिहार में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत की गई

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पटना, एजेंसी। बिहार विधानसभा में गुरुवार को सर्वसम्मति से दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ों के लिए सरकारी नौकरी तथा शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने से संबंधित विधेयकों को पारित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी मंत्री के तौर पर विधानसभा में भोजनावकाश के बाद बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) (संशोधन) विधेयक, 2023 और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में) आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
दोनों विधेयकों में दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा 50 से प्रतिशत बढ़ाकर 65 प्रतिशत की गई। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण पूर्ववत रहेगा। इस तरह अब बिहार में आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत हो जाएगी।
गौरतलब है कि बिहार सरकार ने राज्य में जातिगत आधारित सर्वेक्षण कराया था, जिसकी रिपोर्ट इसी वर्ष 02 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की कुल आबादी में 36.01 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ा, 27.12 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 19.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 15.52 प्रतिशत सामान्य वर्ग हैं।

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