असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों के मामले में वापस लिया आदेश, दिव्यांगों को मिलेगा चार प्रतिशत आरक्षण
नैनीताल। हाई कोर्ट ने राज्य के डिग्री कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 455 पदों के लिए उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से दिसंबर 2021 में जारी विज्ञप्ति को रद करने के अपने 27 जुलाई 2022 के आदेश को शुक्रवार को वापस ले लिया। कोर्ट ने दिव्यांगों के लिए चार प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण तय कर संशोधित विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश आयोग को दिए हैं।
हाई कोर्ट ने 27 जुलाई को दिव्यांग अभ्यर्थी मनीष चौहान व रितेश की याचिका पर सुनवाई के बाद दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था न होने पर विज्ञप्ति को रद किया था।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया कि आयोग ने जटिल प्रक्रिया के तहत कुल प्राप्त 20, 449 आवेदनों की जांच कर एकेडमिक परफार्मेंस इंडिकेटर (एपीआइ) स्कोर की गणना की।
इसमें 1540 अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट किया गया। लेकिन दिव्यांगजनों को क्षैतिज आरक्षण नहीं मिला, इसलिए आयोग न्यायालय के जारी निर्देशों का पालन करते हुए प्रत्येक समूह के कैडर की संख्या के चार प्रतिशत की सीमा तक आरक्षण को अधिसूचित करते हुए बेंचमार्क दिव्यांग उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करने को संशोधित विज्ञप्ति जारी करना चाहता है, जिसकी आयोग को अनुमति दी जाए।
बेंचमार्क दिव्यांग उम्मीदवारों से शुद्घिपत्र के अनुसार प्राप्त होने वाले आवेदनों की जांच की जाएगी, उसके बाद ही चयन प्रक्रिया संपन्न होगी।आयोग के तर्कों के बाद हाई कोर्ट ने अपने 27 जुलाई 2022 के आदेश को वापस लेते हुए चार दिसबंर 2021 को जारी विज्ञप्ति बरकरार रखा है।
आयोग को दिव्यांगजनों के लिए चार प्रतिशत रिक्तियों की गणना करने का निर्देश दिया है। आयोग को अब एक शुद्घिपत्र जारी करना होगा, जिसमें विभिन्न श्रेणी में आने वाले उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित कर पदों की संख्या को इंगित करते हुए क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा। आयोग की ओर से शुद्घिपत्र के अनुसरण में प्राप्त आवेदनों की उसी प्रकार जांच की जाएगी जिस प्रकार प्रारंभिक विज्ञापन के प्रत्युत्तर में की गई। यह विज्ञापन उसी प्रकार प्रकाशित होगा, जिस प्रकार मूल विज्ञापन प्रकाशित हुआ था।