लौट आया भारत का विक्रांत, भारतीय नौसेना को सौंपा गया स्वदेशी विमानवाहक पोत
नई दिल्ली, एजेंसी। ‘कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड’ (सीएसएल) ने गुरुवार को स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत को नौसेना को सौंप दिया। इसे नौसेना के आंतरिक नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा डिजाइन किया गया है। यह भारतीय नौसेना को सौंपा गया देश का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत (आईएसी-1) है। इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत, भारतीय नौसेना जहाज (प्टै) विक्रांत के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्घ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आधिकारिक तौर पर इसे अगस्त में नौसेना में शामिल किया जा सकता है।
एक रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया कि आईएसी के शामिल होने से भारतीय समुद्र क्षेत्र (आईओआर) में देश की स्थिति और मजबूत होगी। सीएसएल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में विमानवाहक पोत सौंपने की पुष्टि की। यह भारत में बनाया गया अभी तक का सबसे बड़ा युद्घपोत है। इसका भार लगभग 45,000 टन है और इसे देश की सबसे महत्वाकांक्षी नौसैनिक पोत परियोजना भी माना जाता है।
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘आईएसी को उसके शानदार पूर्ववर्ती के नाम पर रखा गया है – भारत का पहला विमानवाहक पोत, जिसने 1971 के युद्घ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।’’ इसमें कहा गया कि भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के जश्न के तौर पर मनाये जाने वाले ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर विक्रांत का पुनर्जन्म मजबूत होती समुद्री सुरक्षा की दिशा में क्षमता निर्माण में देश के उत्साह का एक सच्चा प्रमाण है।
विज्ञप्ति के मुताबिक, नया पोत अपने पूर्ववर्ती की तुलना में काफी बड़ा और उन्नत है, जो 262 मीटर लंबा है और इसे चार गैस टर्बाइन के जरिये कुल 88 मेगावट की ताकत मिलेगी। इस पोत की अधिकतम गति 28 ‘नोट्स’ है। इसके मुताबिक, करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना रक्षा मंत्रालय और सीएसल के बीच हुए अनुबंध के साथ तीन चरणों में आगे बढ़ी।
विज्ञप्ति में कहा गया कि आईएसी के निर्माण में कुल 76 फीसदी स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है जो देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक आदर्श उदाहरण है और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को गति प्रदान करता है।