नैनो यूरिया व नैनो डीएपी के महत्व की दी जानकारी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : इफको देहरादून की ओर से सुखरो देवी सहकारी समिति में नैनो यूरिया व नैनो डीएपी के महत्व व उपयोग विधि विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इफको क्षेत्र अधिकारी विनोद कुमार जोशी ने कहा कि सहकारी संस्था इफको ने भारत में पूर्णतया स्वदेशी रूप से अविष्कृत और निर्मित विश्व का पहला इफको नैनो यूरिया बनाया है। नैनो यूरिया बेहतर पोषण के साथ उत्पादन बढ़ाता है और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में भी कमी लाता है। यह जल, वायु और मृदा प्रदूषण को कम करता है जिससे भूमिगत जल और मिट्टी की गुणवत्ता पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। तरल इफको नैनो यूरिया को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी पाया गया है। नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, कलोल में विकसित मालिकाना तकनीक के माध्यम से इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा कई वर्षों के शोध के बाद स्वदेशी रूप से नैनो यूरिया (तरल) को विकसित किया गया है। वहीं इफको किसानों के लिए नैनो डीएपी तरल भी लेकर आई है। नैनो डीएपी पौधों की उत्पादकता को बढ़ाने वाला एक प्रभावी उत्पाद है। नैनो यूरिया की 2-4 एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर सभी प्रकार की फसलों में आवश्यकता अनुसार पत्तों पर स्प्रे किया जाता है व नैनो डीएपी का उपयोग बुवाई के समय व जब फसल में अच्छे से पत्ते आ जाएं तो पानी में मिलाकर पत्तों में स्प्रे किया जाता है। कार्यक्रम में जिला प्रबंधक यूसीएफ राकेश ममगांई, सहायक विकास अधिकारी सहकारिता संजीव रावत, ब्लाक सचिव एवं उर्वरक विक्रता मौजूद रहे।