उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन युद्घ को खत्म कराने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे सफल : डा. फारूक अब्दुल्ला
जम्मू, , एजेंसी। नेशनल कन्फ्रेंस के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौ महीने से जारी रूस-यूक्रेन युद्घ को खत्घ्म कराने में सफल होंगे। इस युद्घ ने पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति पर कहर बरपाया है।
सोमवार को जम्मू में पत्रकारों से बातचीत में डा. फारूक ने भारत को ळ20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता मिलने पर भी खुशी जाहिर की। साथ ही यह भी कहा कि हो सकता है कि भारत पर ळ20 में शामिल देशों का दबाव हो। डा. फारूक का यह बयान बाली में जी-20 की विज्ञप्ति के बाद आया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए संदेश में कहा गया है कि आज का युग युद्घ का नहीं है।
जी 20 की आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाले अंतरराष्ट्रीय कानून और बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखना अति आवश्यक है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित सभी उद्देश्यों और सिद्घांतों के बचाव के अलावा और सुरक्षा सहित अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना भी शामिल है। परमाणु हथियारों के उपयोग या इसके उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है। संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान, संकटों को दूर करने के प्रयास, साथ ही कूटनीति संवाद महत्वपूर्ण हैं। आज का युग युद्घ का नहीं होना चाहिए।
नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख ने गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान पर भी कटाक्ष किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान के बजाय कश्मीरी युवाओं से बात करेंगे। डा. फारूक ने कहा कि हमारी लड़ाई पाकिस्तान से है न कि युवाओं से। इसलिए बात तो पड़ोसी देश से करनी ही चाहिए। यह भी कहा कि हो सकता है कि हमारे अपने पड़ोसी देशों के साथ जो भी समस्याएं हैं, हो सकता है कि देश इसका समाधान भी निकाल लें। उन्होंने कहा- मैं पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए कहते-कहते थक गया हूं। भारत को किसी समय पाकिस्तान से बात करनी ही पड़ेगी।
नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख ने गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान पर भी कटाक्ष किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान के बजाय कश्मीरी युवाओं से बात करेंगे। डा. फारूक ने कहा कि हमारी लड़ाई पाकिस्तान से है न कि युवाओं से। इसलिए बात तो पड़ोसी देश से करनी ही चाहिए। यह भी कहा कि हो सकता है कि हमारे अपने पड़ोसी देशों के साथ जो भी समस्याएं हैं, हो सकता है कि देश इसका समाधान भी निकाल लें। उन्होंने कहा- मैं पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए कहते-कहते थक गया हूं। भारत को किसी समय पाकिस्तान से बात करनी ही पड़ेगी। कट्टरपंथ जैसे सवाल पर उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ जैसा कुछ नहीं है। हम कम तीव्रता वाला युद्घ लड़ रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने के सवाल पर डा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि चुनाव कराना चुनाव आयोग और केंद्र पर निर्भर करता है। हम नहीं जानते कि चुनाव कब कराए जाएंगे। मेरा कर्तव्य सिर्फ यह है कि मैं लोगों से बात करूं और उनकी समस्याओं को संसद और केंद्र के सामने उठाई। चुनाव आयोग और सरकार भारत जाने कि यहां चुनाव कब कराना है।