देश-विदेश

जस्टिस रमण की खरी खरी रू जजों के पद रिक्त होना मुश्किल चुनौती, कानून मंत्री रिजिजू को लेकर मजाकिया अंदाज में की टिप्पणी

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली , एजेंसी। देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने बार काउंसिल अफ इंडिया की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में खरी खरी बातें कहीं। उन्होंने कहा कि उच्च् अदालतों में बड़ी संख्या में रिक्त पदों को वे मुश्किल चुनौती के रूप में लेते हैं। इन पदों का भरने के लिए उन्होंने तेजी से कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा पदभार संभालने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कलेजियम ने उच्च न्यायालयों व शीर्ष अदालत के लिए अब तक 82 जजों के नामों की सिफारिश की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार कलेजियम द्वारा मंजूर किए गए नामों को जल्द मंजूरी देगी। अपने भाषण के दौरान सीजेआई ने कानून मंत्री किरण रिजिजू को लेकर मजाकिया अंदाज में टिप्पणी भी की।
सीजेआई ने कहा कि नेशनल ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेशन के गठन का व्यापक प्रस्ताव की तैयारी की जा रही है। इसे सरकार को जल्द भेजा जाएगा। जस्टिस रमण ने कहा कि न्यायिक तंत्र कई मुश्किल चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनमें बुनियादी ढांचे, प्रशासनिक स्टाफ की कमी, जजों के बड़ी संख्या में रिक्त पद जैसी समस्याएं शामिल हैं।
शीर्ष अदालत में नौ जजों की नियुक्तियों के लिए सीजेआई ने प्रधानमंत्री व कानून मंत्री को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में कानून मंत्री किरण रिजिजू भी मौजूद थे। सीजेआई ने कहा कि कलेजियम द्वारा सुझाए गए इन नामों को जेट स्पीड से मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा कि उच्च अदालतों में रिक्त पदों को अर्जेंट आधार पर भरा जा रहा है। सरकार व कलेजियम के साझा प्रयासों से शीर्ष कोर्ट में रिक्त पद की संख्या मात्र एक रह गई है।
सीजेआई ने कहा कि मेरे द्वारा पदभार संभालने के बाद कलेजियम ने विभिन्न हाईकोर्टों में बतौर जजों की नियुक्ति के लिए 82 नामों की सिफारिश की है। उम्मीद करता हूं कि सरकार इन्हें उसी तरह मंजूरी देगी, जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की नियुक्ति को दी गई। इस तरह हम सभी उच्च न्यायालयों में करीब 41 फीसदी रिक्त पदों को भर देंगे। इसके एक माह में हम 90 फीसदी रिक्तियों को भरे जाने की उम्मीद करते हैं।
इस मौके पर सीजेआई रमन ने कलेजियम के अपने सहयोगी जजों- जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ व जस्टिस नागेश्वर राव को भी सक्रिय व रचनात्मक सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। न्यायिक तंत्र में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर सीजेआई ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए कम से कम 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व की उम्मीद की जानी चाहिए, लेकिन मुझे यह स्वीकार करना होगा कि बड़ी मुश्किलों के बाद अब हमने सर्वोच्च न्यायालय में महिलाओं का केवल 11 प्रतिशत प्रतिनिधित्व हासिल किया है।
सीजेआई रमण ने कानून मंत्री किरण रिजिजू की कामकाज की शैली पर भी मजाकिया अंदाज में टिप्पणी की। उन्होंने कहा, श् जब वो (रिजिजू) मुझसे मिले तो मुझे लगा कि वो कलेज के छात्र हैं। लेकिन मैं उनकी उम्र नहीं पूछना चाहता। कानून मंत्री ने बताया कि मैंने ल डिग्री ली है, लेकिन कानून का अभ्यास करने का अनुभव नहीं है, तो मैंने उनसे यही कहा कि यह तो और भी अच्छा है, क्योंकि तब आप जजों के प्रति पूर्वाग्रह नहीं रखेंगे।श्
अपने भाषण में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, श्जब मैं सीजेआई रमण से पहली बार मिला तो मैं उन्हें अच्छी तरह से नहीं जानता था। मैंने उनके बारे में अपने दोस्तों और मीडिया से सुना था। अपनी पहली बातचीत में मैंने महसूस किया कि हमारे पास ऐसे सीजेआई हैं जिन पर हमें पूरा भरोसा और आस्था है। सीजेआई रमण उच्च सत्यनिष्ठा के व्यक्ति साबित हुए हैं जो न्यायपालिका के लिए एक नया सवेरा हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!