Uncategorized

कठिन परिश्रम के बूते स्वयं को अपने-अपने क्षेत्रों में सिद्ध करें : डॉ० निशंक

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

हिमालय विवि को हिमालय पर केंद्रित शोध को प्राथमिकता देकर इसका उपयोग पूरी मानव जाति के कल्याण के लिए करना होगा
देहरादून। हेमवती नंदन गढ़वाल विवि के 8वें दीक्षांत समारोह का पर पर्यावरण में हिमालय के योगदान और मानवजाति के कल्याण में हिमालय के महत्त्व को रेखांकित करते हुए डॉ. निशंक ने पीजी और पीएचडी कर चुके छात्रों का आह्वान किया कि कठिन परिश्रम के बूते स्वयं को अपने-अपने क्षेत्रों में सिद्ध करें, क्योंकि आप लोगों के सामने असली चुनौतियां और सवाल अब खड़े हैं। जिस प्रकार गंगा उत्तराखंड से निकलकर करोड़ों लोगों के पाप धोते हुए गंगा सागर में मिल जाती है, उसकी प्रकार आप लोग इस धरती से निकलकर देश-दुनिया के दु:ख हरने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाएं। उन्होंने कहा कि हिमालयी विश्वविद्यालयों को हिमालय पर केंद्रित शोध को प्राथमिकता देकर इसका उपयोग पूरी मानव जाति के कल्याण के लिए करना होगा। हिमालय में जैवविविधता है, यह जड़ी-बूटियों का उत्पादक है, यहां नाना प्रकार की वनस्पति है, यह पर्यावरण की पहली पाठशाला है, यह संपदाओं का खजाना है, इसकी अद्भुत संरचना है, इस पर बहुत अध्ययन और शोध की आवश्यकता है। हिमालय पलायन रोकने में कारगर साबित हो सकता है। हिमालय उत्तराखंड के लिए ही हितकारी नहीं, पूरे भारत और विश्व के लिए कल्याणकारी है। नरेंद्र को विवेकानंद बनाने वाला यह हिमालय ही है। अध्ययन और शोध में गढ़वाल विश्वविद्यालय की प्रगति की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं भी इस विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं। उन्होंने विश्वविद्यालय का आह्वान किया कि वह नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए। यह नीति आत्मनिर्भर भारत का सर्वश्रेष्ठ दस्तावेज है। दुनिया के अनेक देश आज इसकी खूबियों के लिए हमारी सराहना कर रहे हैं और इसे अपने यहां लागू करने को उत्सुक हैं। यह नीति रोजगार ही नहीं देगी, विश्वशांति स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगी, क्योंकि यह %वसुधैव कुटुंबकम% की अवधारणा और मानव मूल्यों पर आधारित और केंद्रित है। विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो.धीरेंद्र पाल सिंह ने गढ़वाल विश्वविद्यालय में बिताए अपने शोध काल के समय को याद करते हुए छात्रों का आह्वान किया कि वे संस्कारों को साथ लेकर जाएं। कुलाधिपति डा. योगेंद्र नारायण ने डा. निशंक का परिचय देते हुए कहा कि 75 से अधिक पुस्तकों के रचयिता, अनेक देशों से पुरस्कार प्राप्त और नई शिक्षा नीति जैसी महत्त्वपूर्ण पालिसी को लाने वाले ऐसे केंद्रीय मंत्री पर पूरे देश को गर्व है। उन्होंने डा. निशंक को हाल ही में %वातायन% अंतरराष्?ट्रीय शिखर सम्मान से अलंकृत किए जाने और कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा नई शिक्षा नीति में बेहतर सुधारों के लिए सम्मानित किए जाने का जिक्र करते हुए उन्हें बधाई दी। कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने विश्वद्यालय की उपलब्धियां गिनाते हुए आत्मनिर्भर भारत, वोकल फार लोकल जैसे अभियानों और नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय की ओर से यथासंभव योगदान देने की घोषणा की। पर्यावरण के क्षेत्र में डा. निशंक की उपलब्धियों और स्पर्श गंगा, नमामि गंगे, स्पर्श हिमालय अभियान में उनकी महत्त्वपूर्ण भागीदारी की सराहना करते हुए प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की प्रगति में डा. निशंक का बड़ा योगदान है, क्योंकि वे यहां के हर कार्य और विकास में गहन रुचि लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय कोविड-19 काल की चुनातियों का बखूबी सामना कर रहा है। कुछ माह पहले तीनों परिसरों में कोविड नियमों का पालन करते 48 हजार छात्र-छात्राओं की आनलाइन परीक्षाएं आयोजित की गईं। छात्रों को आनलाइन अध्ययन कराया जा रहा है, हमारे यहां ई-बुक उपलब्ध हैं। कार्यक्रम में कला, संचार एवं भाषा, लॉ, जीव विज्ञान, प्रबंधन, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के 1117 विद्यार्थियों को पीजी, 137 को पी-एचडी, 12 को एमफिल डिग्रियां दी गयीं तथा 42 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक प्रदान किए गए। कुलपति डा. एनएस पंवार ने अतिथियों का धन्यवाद किया। इस वर्चुअल कार्यक्रम में डा. बीए बौड़ाई, डा. एससी बागड़ी, प्रो. एएन पुरोहित, डा. दिनेश नौरियाल, प्रो. सुमित्रा कुकरेती, पर्वतारोही बछेंद्री पाल, डा. कैलाशचंद्र शर्मा, प्रो. मृदुला जुगरान समेत विभिन्न संकायों के अध्यक्ष तथा अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!