जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम कोटद्वार के पार्षदों ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रतिबंध के बावजूद भी मालन नदी में दिन-रात अवैध खनन चल रहा है। ओवर लोड डंपरों को पुलिस और परिवहन विभाग की मदद से उत्तर प्रदेश भेजा जा रहा है। जिससे सरकार को प्रतिदिन लाखों रूपये का चूना लग रहा है। पार्षदों का आरोप है कि यूपी के खनन कारी डंपरों को यूपी भेजने के लिए पुलिस और परिवहन विभाग को 30 हजार रूपये महीना दे रहे है।
नगर निगम के पार्षद सौरभ नौडियाल ने प्रभारी तहसीलदार विकास अवस्थी के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजे पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश से आये खननकारियों द्वारा भाबर क्षेत्र की मालन नदी को खोदा जा रहा है। जबकि वर्तमान में नदियों में खनन की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद भी नदी में गहरे-गहरे गड्ढे खोद दिये गये है। जिससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय आरबीएम स्टॉककर्ताओं द्वारा बड़ी तादाद में उत्तर प्रदेश से टै्रक्टर ट्राली मंगवाकर खनन करवाया जा रहा है। जिससे सरकार को प्रतिदिन लाखों रूपये राजस्व का चूना लग रहा है। सरकार को पिछले एक माह में 50 करोड़ से अधिक राजस्व का चूना लग चुका है। पूरी रात आरबीएम से भरे ट्रक मोटाढाक से दुर्गापुरी और बीईएल रोड को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। वर्तमान में ओवर लोडेड डंपर पूरी रात सिगड्डी, कलालघाटी व हल्दूखाता से जा रहे है, लेकिन संभागीय परिवहन अधिकारी एवं कोटद्वार पुलिस चैन की नींद सो रहे है। पार्षद ने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के खननकारियों का कहना है कि वह पुलिस एवं परिवहन को 30 हजार मासिक की एंट्री देते है। उन्होंने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी परिवहन एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। साथ ही मालन नदी में चल रहे अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने जल्द ही मांगों पर कार्यवाही न होने पर तहसील का घेराव करने की चेतावनी दी है। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। ज्ञापन देने वालों में पार्षद सौरभ नौडियाल, मनीष भट्ट, अनिल नेगी, गिंदीदास आदि शामिल थे।
नई खनन नीति का खुल्लेआम हो रहा है उल्लंघन
उत्तराखण्ड सरकार की संशोधित खनन नीति का शासनादेश जारी होने के बाद भी कोटद्वार में उसका पालन नहीं किया जा रहा है। नई खनन नीति में भंडारण में आरबीएम को प्रतिबंधित किये जाने और उसे दूसरे प्रदेश में ले जाने पर रोक केबाद भी कोटद्वार में कुछ भंडारणों में स्थानीय नदियों से अवैध रूप से आरबीएम इकट्ठा किया जा रहा है और उसकेबाद उसे लगातार डंपरों में लोड कर दूसरे प्रदेश उत्तर प्रदेश में खुल्लेआम ले जाया जा रहा है।
नई खनन नीति के अनुसार प्रदेश में भंडारण के लिए नदी तल से डेढ़ किमी. दूर पर ही खनन भंडारण किया जा सकता है। इसके साथ ही स्वीकृत भंडारणों में आरबीएम का भंडारण करना किसी भी रूप में प्रतिबंधित किया गया है। इन भंडारणों में केवल के्रशरों से आने वाली रेत बजरी का ही भंडारण किया जा सकता है। बावजूद इसके कोटद्वार में कुछ भंडारणों में नदियों में हुए रिवर टे्रडिंग के दौरान आरबीएम का भंडारण दिखाया जा रहा है। जबकि इन भंडारणों में स्थिति यह है कि ये रोज खाली होते है और रात को नदियों से अवैध खनन कर फिर भरे जाते है और उसके बाद उन्हें पुराने रवन्नों पर दिखाकर बेचा जाता है।
सूत्रों के अनुसार कोटद्वार से लगभग 100 से 200 डंपर आरबीएम लेकर रोजाना कौड़िया चेक पोस्ट से उत्तर प्रदेश की ओर जाते है। जबकि उत्तराखण्ड से उत्तर प्रदेश में आरबीएम की बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा हुआ है। चूंकि वर्तमान में कोटद्वार की खोह, सुखरो और मालन आदि नदियों में खनन पर प्रतिबन्ध लगा हुआ है। बावजूद इसके ट्रैक्टरों द्वारा अवैध रूप से इन नदियों से खनन कर कुछ भंडारणों में आरबीएम की सप्लाई की जा रही है।
क्या है खनन भंडारण के नये मानक
प्रदेश की नई खनन नीति के तहत उपखनिज भंडारण स्थल नदी से डेढ़ किमी. दूरी पर स्थापित किया जा सकता है। साथ ही भंडारण में आरबीएम का भंडारण नहीं किया जायेगा। इसमें केवल के्रशर से लाई हुई रेत बजरी का भंडारण कर फुटक्रर बिक्री की जायेगी।