कोटद्वार में बंदरों के आंतक से नहीं मिल रही है निजात, लोग परेशान
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम क्षेत्र में इन दिनों बंदरों का आतंक चरम पर है। आए दिन शहर व ग्रामीण इलाकों से बंदरों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं। इसके चलते इलाके के लोग भयभीत नजर आ रहे हैं। लोगों ने नगर निगम प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। लोगों का आरोप है कि नगर निगम प्रशासन शहर से बंदरों के सफाए को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है। इसके कारण बंदरों के काटने के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं। राजकीय बेस अस्पताल में प्रतिदिन 15 से 20 लोग कुत्ते और बंदर के काटने पर उपचार कराने आ रहे है। इससे तंग आकर क्षेत्र के लोगों ने निगम से बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की गुहार लगाई है।
बता दें कि शहरी व ग्रामीण इलाकों में इन दिनों बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। बंदरों के काटने के अधिकतर मामले बच्चे, बुजुर्ग तथा महिलाओं के साथ सामने आए हैं। बंदर छोटे बच्चों तथा महिलाओं को आसानी से शिकार बनाकर इन्हें जख्मी कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पिछले डेढ़ माह के भीतर बंदरों ने क्षेत्र के करीब 150 से अधिक लोगों का अपना शिकार बनाया है। यदि इससे पहले के आंकडों पर गौर की जाए तो यह आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं। पिछले एक वर्ष में बंदरों तथा पागल कुत्तों के काटने के करीब 2000 से अधिक मामले सामने आए हैं। क्षेत्रीय निवासी विजयलक्ष्मी, रेखा, किरन, सुनीता आदि ने बताया कि शहर व गांवों में बंदरों का आतंक इस कदर लोगों पर छाया हुआ है कि लोगों ने इनके डर के मारे अपनी छतों पर जाना भी छोड़ दिया है। पिछले एक साल से तो बंदरों के काटने के मामले अधिक बढ़े हैं। लोगों का कहना है कि बेखौफ बंदरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि घरों में घुसकर सामान उठा कर ले जा रहे हैं। भगाने पर झपट्टा मारकर घायल कर रहे हैं। उधर, नगर निगम के नगर आयुक्त पीएल शाह का कहना है कि वन विभाग के सहयोग से बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
इन स्थानों पर है बंदरों का आंतक
कोटद्वार। रेलवे स्टेशन, गोविन्द नगर, बदरीनाथ मार्ग, कोतवाली, राजकीय बेस अस्पताल, गाड़ीघाट, बस अड्डा, ग्रास्टनगंज, कुम्भीचौड़, रामपुर, लालपानी, सनेह समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी बंदरों का आतंक है। लेकिन संबंधित विभाग इन्हें पकड़ने की जहमत तक नहीं उठा रहा है। मोहल्ले और कॉलोनियों से लेकर सार्वजनिक स्थानों पर बंदर लगातार लोगों पर हमला कर रहे हैं। रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड की बात करें तो यहां बंदरों ने ज्यादा परेशान किया हुआ है। बंदर आए दिन यात्रियों से खाने-पीने की चीजें झपट लेते हैं। विरोध करने पर हमला करने से भी नहीं चूकते। सरकारी अस्पताल के आसपास में भी बंदरों का आतंक है। मरीजों के परिजन जब फल वगैरह लेकर अस्पताल आते हैं तो बंदर उन पर भी हमला बोल देते हैं। क्वार्टरों में रहने वाले कर्मचारी और उनके परिजन भी बंदरों के आतंक से परेशान हैं। विशेषकर छोटे बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों को ज्यादा परेशानी होती है।