उत्तराखंड

कुंभ कोरोना जांच फर्जीवाड़ा आरोपियों की जमानत निरस्त

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने कुंभ मेले में कोरोना टेस्टिंग के फर्जीवाड़े में लिप्त मैक्स करपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरत पंत, मलिका पंत व नलवा लैब के आशीष वशिष्ठ की ओर से दायर तीन अलग-अलग जमानत प्रार्थना पत्रों पर एक साथ सुनवाई की। कोर्ट ने तीनों आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्रों को निरस्त कर दिया। कहा कि इन्होंने आपदा अधिनियम 2005 के तहत गंभीर अपराध किया है। न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई की गई। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपियों द्वारा फर्जी टेस्टिंग की गई है, जिसके एवज में सरकार को चार करोड़ का बिल भी दिया गया है। सरकार ने इसमें से 15 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया। जब टेस्टिंग के लिए सरकार ने विज्ञप्ति निकाली थी तो मैक्स सर्विसेज ने भी टेंडर डाला। विज्ञप्ति में स्पष्ट लिखा था कि वही लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनके पास आईसीएमआर का सर्टिफिकेट होगा। इस पर मैक्स सर्विसेज ने शपथ पत्र देकर कहा था कि उनकी लाल चंदानी व नलवा लैब हैं, जिनको आईसीएमआर का सर्टिफिकेट मिला हुआ है। इस आधार पर इनको कुंभ में कोरोना टेस्टिंग का ठेका दिया गया।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि लालचंदानी लैब के सभी टेस्ट वैध थे, जबकि नलवा लैब ने टेस्ट कराने के लिए अनट्रेंड छात्रों को अधित किया। टेस्ट की रिपोर्ट हरियाणा, यूपी व राजस्थान से कराई गई। जबकि जिस स्थान पर टेस्ट हुए, वहीं से रिपोर्ट अपलोड होनी थी। मैक्स व नलवा ने एक ही आईडी पर हजारों टेस्ट किए। जो टेस्ट किए गए, उनमें अधिकतर रिपोर्ट नेगेटिव अपलोड की गईं, ताकि वे पकड़ में न आ सकें। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि उसके पास कई गवाह भी हैं, जिन्होंने टेस्ट कराए ही नहीं हैं।
आरोपियों के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि उनके द्वारा कोई फर्जी टेस्टिंग नहीं की गई, वे तो एकमात्र सर्विस एजेंसी थे। जो टेस्ट किए गए, वे लाल चंदानी व नलवा लैब द्वारा किए गए। नलवा लैब ने एक लाख चार हजार दो सौ सत्तावन और लाल चंदानी लैब ने 13 हजार टेस्ट किए। सरकार जांच में एक भी टेस्ट फर्जी साबित नहीं कर पाई। कुंभ के दौरान श्रद्घालुओं के जत्थे ही जत्थे आ रहे थे, इसलिए अखाड़ों ने एक ही आईडी नंबर से टेस्ट कराए। जांच अधिकारी उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाए। सरकार ने उनको अभी तक कोई भुगतान नहीं किया है। आरोपियों की तरफ से यह भी कहा गया कि वे नवंबर 2021 से जेल में हैं। जबकि कोर्ट ने पूर्व में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी, उसके बाद आईओ ने धारा 467 और बढ़ा दी।
यह है याचिका
मामले के अनुसार शरत पंत, मलिका पंत व आशीष वशिष्ठ ने जमानत प्रार्थना पत्र दायर कर कहा है कि वे मैक्स करपोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं। परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स करपोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था। इन अधिकारियों की मौजूद्गी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी। अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे।

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