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पंचतत्व में विलीन हुईं मां हीराबा

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नई दिल्ली, एजेंसी। हीराबेन के निधन की सूचना जैसे ही सामने आई, लोग मायूस हो गए। बड़ी संख्या में लोग हीराबेन के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाह रहे थे। पार्टी और सरकार से जुड़े लोग अपने-अपने कार्यक्रमों को रद्द करने का प्लान कर रहे थे, लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने साफ कर दिया कि कोई भी अपने कार्यक्रम रद्द नहीं करेगा। सभी लोग अपना-अपना काम करें। बताया जाता है कि पार्टी की तरफ से भी कार्यकर्ताओं को सूचना दी गई कि कोई भी गांधीनगर न पहुंचे। पार्टी और सरकार से जुड़े सभी लोग अपना पूर्व निर्धारित काम करें।
कार्यकर्ताओं और समर्थकों को पहले ही यह संदेश जा चुका था कि प्रधानमंत्री की मां का अंतिम संस्कार बेहद साद्गी से होगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही। पीएम मोदी की मां के गांधीनगर स्थित घर से लेकर श्मशान घाट तक 100 से भी कम लोग दिखे। हालांकि, इसमें एक नेता को देखकर हर कोई चौंक गया। आइए जानते हैं कि कौन-कौन अंतिम संस्कार में शामिल हुआ?
हीराबेन के अंतिम संस्कार में पीएम मोदी के परिवार के सभी सदस्य और करीबी लोग ही शामिल हुए। इसमें पीएम मोदी के सभी भाई, परिवार के अन्य सदस्यों के अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल भी मौजूद रहे।
पिछले कुछ समय से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर रहे शंकर सिंह वाघेला भी हीराबेन के अंतिम संस्कार में पहुंचे। मुखाग्नि के वक्त भी शंकर सिंह वाघेला पीएम मोदी के साथ ही दिखे। बताया जाता है कि राजनीतिक तौर पर भले ही वाघेला पीएम मोदी के विरोध में रहते हैं, लेकिन उनका पुराना पारिवारिक संबंध भी है। हीराबेन के अंतिम संस्कार में उद्योगपति गौतम अदाणी भी पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा शुक्रवार सुबह 9रू26 बजे पंचतत्व में विलीन हो गईं। पीएम मोदी के साथ-साथ उनके भाइयों ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम सफर के दौरान वे मां की पार्थिव देह को कंधा देते हुए गांधीनगर स्थित घर से निकले। अंतिम यात्रा के दौरान वे शव वाहन में भी पार्थिव देह के करीब बैठे रहे।
प्रधानमंत्री मोदी अंतिम संस्कार के करीब दो घंटे बाद काम में जुट गए। वे बंगाल के कार्यक्रम में वर्चुअली जुटे। उन्होंने वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इसके अलावा वे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के ब्ड नीतीश कुमार के अलावा उत्तराखंड और झारखंड के मुख्यमंत्री के साथ गंगा परिषद की मीटिंग में भी शामिल हुए।

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