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मांझी बोले- हमने नहीं, नीतीश ने छोड़ा साथ; किसी दल में नहीं करेगी विलय, 18 जून को लेगी अहम फैसला

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बिहार, एजेंसी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर के संरक्षक सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बुधवार को बिहारशरीफ पहुंचे। जहां उन्होंने दिवगंत आकाश कुमार के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढाढ़स बंधाया। आकाश कुमार की हत्या बीते शुक्रवार को पटना में अज्ञात बदमाशों ने कर दी थी। हालांकि इस मामले में पुलिस के हाथ अब भी खाली हैं। इससे पहले बिहारशरीफ सर्किट हाउस में जीतन राम मांझी ने प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन कर नीतीश कैबिनेट से अलग होने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने के पहले ही सर्किट हाउस की बिजली चली गई। जीतन राम मांझी ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि जानबूझ कर काट दी क्या जी।
जीतन राम मांझी ने बताया कि संतोष मांझी ने नीतीश कैबिनेट से जो इस्तीफा दे दिया है, उसका कारण यह है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का गठन 2015 में हुआ था। इस मकसद से कि जीतन राम मांझी 2014 और 2015 में नौ महीने के लिए जब मुख्यमंत्री बना था तो उस समय कुछ अहम फैसला समाज के लिए, बिहार के विकास के लिए लिया गया था। और तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। तब हमारे लोगों ने उस समय यह एहसास किया कि जो निर्णय लिए गए थे। उनमें 34 निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय थे। उसको लागू करने के लिए एक पार्टी बनाकर उसे पूरा किया जाए। और पार्टी बनाकर हम लोगों ने नीतीश कुमार जी के साथ रहने का फैसला लिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा की सात जून को मुख्यमंत्री ने समय दिया मिलने के लिए और हम सभी विधायक और एक एमएलसी मिलने के लिए पहुंचे। मिलने का संदर्भ यह था कि सभी के जो चुनाव क्षेत्र हैं, वहां के विकास के मामले थे, ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले थे। सब कोई अपनी बात को रखना चाहते थे। वहां गए थे करीब 45 मिनट तक हम लोगों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उसमें 35 मिनट तक मुख्यमंत्री लगातार बोलते रहे और उन्होंने कहा कि कहां आप, कहां पड़े हुए हैं। आप मेरे दल में आ जाइए और साथ मिलकर काम कीजिए। हम आपको इतना प्यार, सम्मान और इज्जत देते हैं।
मुख्यमंत्री के कहते-कहते हमें बीच में कहना पड़ा कि हमने सुना है कि बूढ़े लोग सिर्फ अपनी ही बातें करते हैं। एक तो हम बूढ़े हैं और हमें लगता है कि हमसे ज्यादा बूढ़े आप हो गए हैं जो लगातार अपनी ही बातें कह रहे हैं। हम लोगों को भी बोलने का मौका दीजिए। उसी दौरान उन्होंने कह दिया था कि पार्टी का जहां तक सवाल है, आप जनता दल यूनाइटेड में मिल जाइए नहीं तो बाहर चले जाइए। दो बार उन्होंने इस बात को रिपीट किया। बावजूद उन्होंने इस बात को गंभीरता पूर्वक नहीं लिया।
जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि पार्टी का विलय छोड़कर सब शर्तें हमें मंजूर हैं। उन्होंने कहा कि हम कोर कमिटी बुलाकर एक बैठक करेंगे और उसके बाद ही इस बात पर निर्णय लेंगे। कोर कमिटी की बैठक में हम लोग 11 सदस्य शामिल हुए। सभी सदस्यों ने यही निर्णय लिया कि किसी भी सूरत में पार्टी का विलय नहीं होना चाहिए। जीतन राम मांझी ने कहा कि वह जब भी मुख्यमंत्री से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर के बारे में बात करना चाहते थे तो मुख्यमंत्री विजय चौधरी पर बात टाल देते थे। कहते थे कि आपको जो भी समस्या है वह विजय चौधरी जी को बताएं।
उन्होंने कहा कि 12 जून को हम सीधे विजय चौधरी के पास गए और उन्हें बताया कि हमारी पार्टी के लोग विलय के लिए तैयार नहीं है। इसके बाद विजय चौधरी ने कहा कि आप अगर विलय करने के लिए तैयार नहीं है तो बाहर चले जाइए। इसके बाद वहां से निकलने के बाद उन्होंने मंत्री संतोष मांझी को इस्तीफा देने की बात कही और संतोष मांझी ने अपना त्यागपत्र दे दिया।
जीतन राम मांझी ने शराबबंदी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने शराब नीति बनाई बहुत अच्छी बात है। हमारे यहां शराब बनती थी। हमारे माता-पिता शराब पीते थे, बेचते थे। लेकिन हम आज तक शराब को हाथ नहीं लगाए, क्योंकि हम जानते हैं कि शराब बहुत खराब है। शराबबंदी का जो बिहार में इंप्लीमेंटेशन हो रहा है। इसमें गरीबों को बहुत परेशानी हो रही है। बड़े कारोबारी पैसे देकर छूट जा रहे हैं। मजदूर अगर शराब पी रहा है तो उसे जेल भेज दिया जा रहा है। आज करीब पांच लाख लोग शराब के कारण जेल में हैं। उनमें तीन से 3.50 लाख लोग गरीब तबके के मजदूर लोग हैं। हमने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि शराबबंदी पर समीक्षा कीजिए।
एक सवाल के जवाब में कि जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया था कि वह छोटी दुकान क्यों चला रहे हैं। इसका जवाब देते हुए मांझी ने कहा कि दुकान चलाने का मतलब होता है खरीद-फरोख्त। वे बड़े आदमी हैं, नेशनल लीडर हैं। इतनी छिछली बात उनके मुंह से शोभा नहीं देती है। वे साबित करें कि क्या हमने गिव एंड टेक किया है। हमारी पार्टी छोटी है या बड़ी है, इसका कोई मतलब नहीं है। अगर खरीद-फरोख्त की बात होती तो याद कीजिए 19 फरवरी 2015 को एक पॉकेट में रेजिग्नेशन लेटर और दूसरे पॉकेट में एसेम्बली भंग करने का लेटर था। अगर महत्वाकांक्षा होती, गिव एंड टेक करने की बात होती तो हम असेंबली वाला लेटर बढ़ाते और छह महीने और मुख्यमंत्री रह सकते थे।
जीतन राम मांझी ने बोला कि हमारी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी है। आने वाले 18 जून को हम नेशनल कमेटी की बैठक बुलाएंगे और उस बैठक में हम निर्णय लेंगे। और अपनी पार्टी को किसी भी पार्टी में मर्ज नहीं करेंगे। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर पार्टी बिहार में नया एक्सपेरिमेंट करेगी और खुद को स्थापित करेगी।
जीतन राम मांझी ने कहा कि वे कभी भी महागठबंधन के साथ में नहीं थे। वे हमेशा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ में थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी मां की कसम खाकर नीतीश कुमार के साथ हमेशा रहने की कसम खाई थी। लेकिन हम नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने हमें कसम से मुक्त कर दिया। यह कहते हुए कि पार्टी में मिल जाइए नहीं तो जाइए।
नीतीश के प्रधानमंत्री उम्मीदवारी पर जीतन राम मांझी ने बोला कि हम सभी लोग चाहते हैं कि नीतीश कुमार देश के प्रधानमंत्री बनें। लेकिन जो 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है, उसमें और लोग मानेंगे तभी यह तय हो सकता है। हालांकि अब खुद नीतीश कुमार और उनके पार्टी के लोग बोल रहे हैं कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल नहीं हैं। नीतीश कुमार में यह काबिलियत है और वे पिछले 20 साल से अच्छे प्रशासक के रूप में बिहार में काम कर रहे हैं।

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