उत्तराखंड

पिरूल से विद्युत उत्पादन के लिए प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित करें भूमि

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रुद्रप्रयाग। पिरुल से रोजगार देने के लिए जिलाधिकारी मनुज गोयल ने वन विभाग एवं उरेडा के अफसरों से बैठक कर व्यापक जानकारी ली। जिले में चीड़ के पत्तों (पिरुल) से लगने वाली आग से वन संपदा को बचाने एवं महिलाओं व बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने के लिए पिरुल से विद्युत उत्पादन करने पर भी जोर दिया गया। उन्होंने इसके लिए लगने वाले प्रोजेक्ट को लेकर भी जानकारी ली। बैठक में परियोजना अधिकारी उरेडा संदीप कुमार सैनी ने जिलाधिकारी को अवगत कराया है कि जिले का कुल वन क्षेत्रफल 17083 हेक्टेयर है जिसमें रिजर्व वन 15072 तथा वन पंचायत 2011 हेक्टेयर है। इससे करीब 64063 मिट्रिक टन पिरुल उपलब्ध होता है, जिससे लगभग 15 मेगावाट विद्युत उत्पादन होने की संभावना है। इसके लिए दो प्रोजेक्ट तैयार किए जाने के लिए भूमि का चयन किया जाना है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) द्वारा फाइनेंस किया जाएगा। जिलाधिकारी ने उरेडा एवं वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जनपद में पिरुल से विद्युत उत्पादन किए जाने के लिए जिस क्षेत्र में अधिक चीड़ के पेड़ हैं साथ ही जहां अधिक पिरुल उपलब्ध होता है, उस क्षेत्र में भूमि चिह्नित करते हुए उसमें दो प्रोजेक्ट लगाए जाने के लिए जल्द से जल्द आवश्यक कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि पिरुल से विद्युत उत्पादन किए जाने से जहां एक ओर स्थानीय महिलाओं एवं बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। वहीं पिरुल से वनों में लगने वाली आग को कम किया जा सकेगा तथा वन संपदा को होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकेगा। बैठक में परियोजना निदेशक डीआरडीए रमेश चंद्र, डिप्टी रेंजर वन प्रभाग रुद्रप्रयाग चंडी प्रसाद चौकियाल सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

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