ओलावृष्टि से फसलों ओर फलों को भारी नुकसान पहुंचा
पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ के कई हिस्सों में फिर हुई ओलावृष्टि से फसलों ओर फलों को भारी नुकसान पहुंचा है। सब्जियां भी ओलावृष्टि की चपेट में आने से नष्ट हो चुकी हैं। डीडीहाट और कनालीछीना क्षेत्र में आम और लीची के फल को 70 फीसदी नुकसान पहुंचा है। कनालीछीना विकास खंड और डीडीहाट विकास खंड में हो रही लगातार ओलावृष्टि से काश्तकारों को खासा नुकसान पहुंचा है। देर रात कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि हुई।जिससे गुड़ौली, मितड़ा, मलान, लमड़ा, दिगरा, नारायण नगर, बाराकोट, चौसाल, पस्मा, थल, मुवानी, सुनाकोट, डीडीहाट, ख्वांतड़ी, ग्वेता, चौपाता, लोहाकोट, अस्कोट, लेकमकांडा, दारती, पानागढ़, कांडा मानसिंह, छब्बीसा आदि क्षेत्रों में लीची और आम का फल पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। इससे काश्तकारों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। स्थानीय काश्तकार कल्याण सिंह दिगारी ने कहा लगातार हो रही ओलावृष्टि से क्षेत्र में आम और लीची का फल पूरी तरह से गिर चुका है। जिससे अब अंदर की टहनियों में ही फल बचा हुआ है। अब भी लगातार मौसम खराब होने से ओलावृष्टि की आशंका बनी हुई है। जिससे पेड़ों में बचा हुआ 30 फीसदी फल भी बर्बाद होने की आशंका बनी हुई है। उधर अल्मोड़ा के दूनागिरी स्टेट में ग्राम पंचायत रतखाल में बुधवार देर सायं हुई ओलावृष्टि से फसल व फलों को व्यापक नुकसान हुआ है। ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम चरी, खोलियानाज व रतखाल में तीन घंटे तक बारिश व ओले गिरे। इससे फल, सब्जी आदि उत्पादन को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है।
मौसम की मार से खेतों में ही सड़ गया कई जगह गेहूं
पिथौरागढ़। जिले में 20 हेक्टेयर कृषि भूमि में गेहूं का उत्पादन किया जाता है। करीब 15 हेक्टेयर भूमि से गेहूं की फसल काट ली गई है। मगर बची हुए पांच हेक्टेअर भूमि में गेहूं की फसल पक कर तैयार है। मगर लगातार और रोजाना हो रही बारिश के कारण खेतों में ही फसल खराब हो चुकी है। जबकि 50 फीसदी गेहूं की फसल ओलावृष्टि के कारण खेतों में ही झड़ चुकी है। गीला गेहूं होने से काश्तकार खेतों से काट भी नहीं पा रहे हैं। इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सब्जियों के पौधे ओलावृष्टि से किसी काम के नहीं बचे
पिथौरागढ़। इन दिनों लोग अपने खेतों में शिमला मिर्च, हरी मिर्च, बैंगन, कद्दू, लौकी, ककड़ी आदि के पौंधे लगा रहे हैं। मगर लगातार हो रही ओलावृष्टि के कारण इन पौंधों को खासा नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि से लगभग 90 फीसदी पौंधे टूट चुके हैं। जबकि खेतों में तैयार प्याज और लहसून की फसल भी खराब होने लगी है। खेतों में अधिक पानी हो जाने से वह सड़ने लगा है। काश्तकारों ने मुआवजे की मांग की है।