कोटद्वार-पौड़ी

सेवा नहीं, गाढ़ी कमाई का जरिया बन गई है चिकित्सा

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मानवता भूल पैसे कमाने की दौड़ में शामिल हो गए हैं कोटद्वार के कई चिकित्सक
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : एक समय में लोगों की सेवा का माध्यम कही जाने वाली चिकित्सा आज कई चिकित्सकों के लिए गाढ़ी कमाई का जरिया बन गई है। कोटद्वार के ही कई चिकित्सक पैसे कमाने की दौड़ में इस कदर शामिल हो गए हैं कि उन्हें मानवता भी नजर नहीं आ रही है। दरअसल, कोटद्वार के कई निजी क्लीनिक में सिर्फ पैसे का जोर चल रहा है। यदि आपके पास दूसरों से ज्यादा पैसा है तो आप सबसे पहले चिकित्सा सुविधा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यही नहीं कुछ चिकित्सक तो सप्ताह में एक बार कोटद्वार में उपलब्ध होने के बावजूद हर बार मरीजों को देखने के लिए कंसलटेंसी फीस वसूल रहे हैं।
दरअसल, कई निजी क्लीनिक पर पर्चा बनाने के बाद उसकी वैधता एक सप्ताह बताई जाती है। अब होता यह है कि कई बार चिकित्सक एक बार मरीज को देखने के बाद उसे तरह-तरह के टेस्ट करवाकर फिर से आने को कहते हैं। टेस्ट करवाने में मरीज को एक दिन का समय लगता है और वह फिर से चिकित्सक से मिलने पहुंचता है तो वहां चिकित्सक मिलते ही नहीं है। दरअसल, कोटद्वार में कई चिकित्सक बाहर से उपचार करने आते हैं। जिससे वह पूरे सप्ताह यहां समय नहीं दे पाते हैं और कई बार तो सप्ताह में एक बार ही यहां आ पाते हैं। ऐसे में मरीज को मजबूरी में एक बार चिकित्सक से मिलने के बाद फिर अगले सप्ताह ही उनके पास आना पड़ता है और फिर से चार सौ से पांच सौ रुपये तक कंसलटेंसी फीस देनी पड़ती है। इसके अलावा चिकित्सक से एप्वाइंटमेंट लेने के बाद यदि मरीज का नंबर आने वाला है, लेकिन उससे पहले कोई और ज्यादा पैसे देकर वहां पहुंच जाता है तो पहले मरीज का नंबर पीछे खिसका दिया जाता है और ज्यादा पैसे देने वाले को पहले देखा जाता है। जिससे एप्वाइंटमेंट के अनुसार समय से पहुंचे मरीज खुद को ठगा सा महसूस करते हैं।

क्या कहते हैं चिकित्सक
इलेक्ट्रो होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र नेगी का कहना है कि चिकित्सा सेवा का माध्यम होना चाहिए। मरीजों को कम से कम पैसों में ज्यादा से ज्यादा सुविधा व आराम मिले, इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए। सिर्फ पैसा कमाना ही किसी भी व्यवसाय का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। हर व्यवसाय की लोगों के प्रति कुछ जिम्मेदारियां भी होती हैं।

निजी क्लीनिक पर फीस वसूली को लेकर कोई नियम न होने की वजह से हम उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। हां अगर कोई चिकित्सक सप्ताह में एक बार ही मरीज को देख सकता है तो उसे इस संबंध में स्पष्ट रूप से बताना होगा। जिससे मरीजों को कोई परेशानी न हो।
प्रवीण कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

निजी क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर नजर रखने का अधिकार मुख्य चिकित्सा अधिकारी को है। हम मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेशानुसार ही आगे की कार्रवाई करते हैं।
कुमार आदित्य तिवारी, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक

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