स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सचिव पर्यटन मंत्रालय अरविंद सिंह (आईएएस) की हुई भेंटवार्ता
ाषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय सचिव पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार अरविंद सिंह जी( आईएएस) की दिल्ली में भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर भारत में सस्टेनेबल और ईकोटूरिज्म विकसित करने हेतु विस्तृत चर्चा हुई। साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, ऑक्सीजन टूरिज्म, रूद्राक्ष टूरिज्म, योग और वेलनेस टूरिज्म तथा पीस टूरिज्म किस प्रकार विकसित किया जाये इस पर विचार विमर्श किया गया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखंड पर्यटन की दृष्टि से समृद्घ राज्य है। यहां का आतिथ्य और संस्ति हिमालय के जैसे विशाल और गंगा की तरह पवित्र है परन्तु यहां पर कई चुनौतियाँ भी मौजूद हैं, पहाड़ पर रहने वालों की समस्यायें भी पहाड़ जैसी ही होती है। उन्होंने जोशीमठ भू-धंराव पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि जोशीमठ के लोगों की तात्कालिक समस्याओं के समाधान के लिये हम सभी को मिलकर आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन के दरवाजे हमेशा अपने राज्यवासियों के लिये खुले हैं।
स्वामी जी ने कहा कि इस वर्ष भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है और जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहा है, ऐसे में देश में एक सुरक्षित और अनुकूल पर्यटन विकसित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। यह सांस्तिक आदान-प्रदान का एक उत्ष्ट अवसर है, ताकि दुनिया के विभिन्न हिस्सों के आगंतुक भारत की विविध संस्तियों और परंपराओं के बारे में जान सकते हैं, इसके माध्यम से आगंतुक भारत की समग्र छवि को देख सकते है और इसे अनुभव कर सकते हैं। स्वामी जी ने भारत में ‘इको-टूरिज्म’ को बढ़ावा देने की बात कही।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि दुनिया में कहीं भी किसी अन्य पर्वत श्रृंखला ने जनसमुदाय के जीवन को इस तरह प्रभावित नहीं किया है और न ही किसी राष्ट्र की नियति को आकार दिया है, जैसा कि हिमालय ने भारत को दिया है। हिमालय का संबंध भारत से एक रक्षक की तरह है। हिमालय अपनी भौतिक एवं प्रातिक भव्यता व दिव्यता तथा सांस्तिक समृद्घि सौंदर्यपरकता एवं पवित्र विरासत मूल्यों के अलावा माँ गंगा का उद्गम भी है इसलिये उत्तराखंड और अन्य हिमालयी राज्यों में ‘इको-टूरिज्म’ विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय सचिव पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार अरविंद सिंह जी को हिमालय की भेंट रूद्राक्ष का पौधा और हल्दी भेंट कर गंगा जी आरती में सहभाग हेतु आमंत्रित किया।