अदालतों में केस की सुनवाई समय से हो पूरा, सुनिश्चित करने में जुटा गृह मंत्रालय; तैयार हो रहा प्लेटफार्म
नई दिल्ली, एजेंसी। अब पीड़ित को न्याय की आस में सालों-साल इंतजार नहीं करना होगा। अदालतों में समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय ई-अभियोजन पोर्टल के माध्यम से देश भर के अदालतों में चल रहे केस पर नजर रख रहा है। हाल ही में ई-प्रोसीक्यूशन पोर्टल में नया फीचर जोड़ा गया है, जो किसी केस की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील द्वारा अदालत से स्थगन मांगने पर नजर रखेगा और दो बार स्थगन मांगे जाने पर तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को इसके बारे में अलर्ट कर देगा।
इंटर-आपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आइसीजेएस) के दूसरे फेज के क्रियान्वयन से देश की अदालतों में चल रहे करोड़ों मुकदमों पर नजर रखना संभव हो सका है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले साल फरवरी में आइसीजेएस-फेज दो मंजूरी दी।
आइसीजेएस फेज-दो में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) के तहत तैयार अलग-अलग प्लेटफार्म पर तैयार किये गए ई-पुलिस, ई-कोर्ट, ई-जेल, ई-फारेंसिक और ई-अभियोजन को आपस में जोड़ा जा रहा है।
इसे ”वन डाटा, वन इंट्री” के सिद्धांत पर तैयार किया जा रहा है। यानी किसी एक प्लेटफार्म पर डाला गया, अन्य प्लेटफार्म पर स्वत: उपलब्ध हो जाएगा। इसके लिए हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के साथ एक समर्पित और सुरक्षित क्लाउड आधारित डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ई-अभियोजन के तहत अदालत में सुनवाई पर नजर रखने का काम 751 अभियोजन जिलों में शुरू हो गया है। जबकि 153 जिलों में इसपर तेजी से काम हो रहा है। इसके साथ ही सीसीटीएनएस के तहत देश के सभी 16,625 पुलिस स्टेशनों को ई-पुलिस से जोड़ा जा चुका है और 99.9 फीसद पुलिस स्टेशनों (16,597) में 100 फीसद एफआइआर सीसीटीएनएस पर दर्ज किया जा रहा है।
यही नहीं, पुराने पुलिस रिकार्ड को सीसीटीएनएस पर अपलोड किये जा रहे हैं। अब तक 28.98 करोड़ रिकार्ड हैं। यही नहीं, देश के 1300 जेलों में ई-जेल को लागू किया जा चुका है और 117 फारेंसिक लेबोरेटरीज को ई-फारेंसिक से जोड़ा जा चुका है।