खूंखार हुए बंदर व कुत्ते, बढ़ने लगी लोगों की चिंता

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बेस अस्पताल में प्रतिदिन पहुंच रहे बंदर व कुत्ते के काटने के मामले
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : शहर में लगातार खूंखार हो रहे बंदर व आवारा कुत्ते आमजन के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। हालत यह है कि बेस अस्पताल में एक माह के भीतर तीन सौ से अधिक कुत्ते व बंदर के काटने के मामले पहुंच चुके हैं। सबसे अधिक परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को हो रही है। शिकायत के बाद भी सरकारी सिस्टम समस्या को लेकर लापरवाह बना हुआ है।
कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में शायद ही कोई ऐसा वार्ड हो जहां उत्पाती बंदर व आवारा कुत्ते न दिखाई दें। सुबह से ही बंदर घरों में उत्पात मचाना शुरू कर देते हैं। बंदरों के कारण वार्डवासियों का अपने घरों की छत पर कपड़े व अनाज सुखाना भी मुश्किल हो गया है। वहीं, गलियों में घूम रहे आवारा कुत्ते भी चुनौती बन रहे हैं। गलियों में घूम रहा आवारा कुत्तों का झुंड राह चलते लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं। वार्डवासी सुनीता देवी, अर्चना देवी ने बताया कि कुत्तों व बंदरों के डर से बच्चों ने घर के बाहर खेलना भी छोड़ दिया है। अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने व लेने के लिए साथ में जाना पड़ रहा है। यही नहीं बंदरों ने तो घरों के बाहर खेतों में लगाई गई साग-सब्जियों को भी बर्बाद कर दिया है। दरवाजे खुले होने पर बंदरों का झुंड घर के अंदर पहुंच जाता है।

इन स्थानों पर अधिक समस्या
नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत कालाबड़, शिवपुर, मानपुर, काशीरामपुर, सनेह, ग्रास्टनगंज, दुर्गापुरी सहित भाबर क्षेत्र के कई वार्डों में लगातार कुत्तों व बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। कुछ माह पूर्व गोविंदनगर में बंदरों के हमले से बचने के दौरान एक व्यक्ति छत की सीढ़ियों से नीचे गिर गया था। जिसे बेस अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहीं, झंडीचौड़ में छत पर कपड़े सुखाने गई महिला पर बंदर ने हमला कर दिया था। भाबर क्षेत्र में बाइक सवार एक युवक को कुत्ते ने काट लिया था।

पिछले एक माह के आंकड़े
पिछले एक माह में बेस अस्पताल में कुत्तों के कटाने पर 300, बंदरों के काटने के 20, बिल्ली के कटाने के 15 मामले पहुंचे। यही नहीं यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ता जा रहा है। शहरवासियों ने नगर निगम व वन विभाग से आवारा कुत्तों व बंदरों के आतंक से निजात दिलवाने की मांग की है। कुछ सप्ताह पूर्व दुर्गापुरी के वार्डवासियों ने इस संबंध में तहसील में धरना भी दिया था। लेकिन, हालात जस के तस बने हुए हैं।

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