आतिशबाजी में 200 से ज्यादा लोग झुलसे

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देहरादून। दीपावली में आतिशबाजी का रोमांच कई लोगों पर भारी पड़ गया। पटाखे फोड़ते समय असावधानी के चलते किसी का हाथ जल गया, तो किसी का चेहरा झुलस गया। राजधानी के अस्पतालों में दीपावली की मध्य रात्रि तक पटाखों से झुलसने वाले कई लोग पहुंचे। इसके अलावा श्वास व त्वचा संबंधी समस्या के चलते भी कई लोगों को अस्पताल की शरण लेनी पड़ी। राहत की बात यह रही कि दीपावली के उल्लास में किसी बड़ी दुर्घटना ने खलल नहीं डाला। पटाखे फोड़ने पर व्यक्ति जितना रोमांच महसूस करता है, ये उतना ही खतरनाक भी है। पटाखों के बारुदी धुएं में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। जिसमें श्वास व त्वचा संबंधी समस्या आम है। इसके अलावा पटाखों से झुलसने के मामले भी ज्यादा रहते हैं। दीपावली का यह स्याह पहलू इस बार भी सामने आया। दीपावली के दिन अस्पतालों की इमरजेंसी में मध्य रात्रि तक भीड़ रही। इनमें अधिकतर मामले पटाखों से झुलसने के हैं। दून व कोरोनेशन के अलावा शहर के कुछेक चुनिंदा निजी अस्पताल ही लें, तो यह संख्या 200 पार कर गई। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आतिशबाजी के रोमांच ने लोगों को किस तरह का दर्द दिया है। बहरहाल राहत इस बात की रही कि इनमें गंभीर प्रकृति के बहुत कम मामले हैं।
अनार और चरखी से ज्यादा झुलसे: दीपावली पर झुलसे मरीजों में अधिकांश अनार और चरखी से झुलसे हैं। यह आंकड़ा कुल मरीजों का 90 प्रतिशत है।
अस्थमा के मरीजों का बढ़ा मर्ज: अतिशबाजी ने श्वास रोगियों का भी दम फुलाया। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय और निजी अस्पताल में ऐसे मरीजों की भी भीड़ रही। चिकित्सकों के अनुसार काफी संख्या में मरीज अस्थमा से पीडि़त आए।
आंखों को पहुंचा नुकसान : दीपावली के बाद दून मेडिकल कालेज अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में भी मरीजों की खासी भीड़ देखी गई। मंगलवार को विभाग की ओपीडी में 55 मरीज पहुंचे, जिनमें चार मरीजों को आंखों के आसपास जलने की शिकायत थी। आठ को आंख में चोट, दो को आंख में छिद्र और तीन को पलकों में कटाव जैसी समस्याएं थीं। नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डा. सुझील ओझा के अनुसार, दीपावली के दौरान आंखों को नुकसान पहुंचने के अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें एक मरीज की आंखों में टांके तक लगाने पड़े। पटाखे के कारण उसकी आंख फट गई थी।
इमरजेंसी में हर विभाग के चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई थी। दीपावली की रात इमरजेंसी में 500 से अधिक मरीज पहुंचे। जिनमें पटाखों से झुलसने के भी कई मामले थे। राहत की बात यह रही कि इन्हें भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। – डा. आरएस बिष्ट, चिकित्सा अधीक्षक दून मेडिकल कालेज अस्पताल
पटाखों से झुलसने के कारण करीब 50 मरीज इमरजेंसी में पहुंचे। इनमें किसी को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। वहीं, श्वास रोगियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अच्छी बात यह रही कि कोई गंभीर मामला नहीं आया। – डा. मनु जैन, पीएमएस, जिला चकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल)

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