उत्तराखंड

चुनाव आयोग की गाइड लाइन से राष्ट्रीय दल मायूस

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बागेश्वर। चुनाव आयोग द्वारा सोमवार की सायं नई गाइड लाइन जारी करते ही जहां राष्ट्रीय दल मायूस हैं वहीं निर्दलीय प्रत्याशी खुश नजर आ रहे हैं। वहीं प्रत्याशियों ने अपने समर्थकों के साथ रोड शो व डोर टू डोर संपर्क तेज कर दिया है।
राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस की बात की जाए तो उन्हें उम्मीद थी कि 31 जनवरी के बाद चुनाव आयोग रैलियों की अनुमति देगा, इसके लिए इनके द्वारा प्रदेश नेतृत्व को जनता की मांग के अनुसार प्रभावशाली स्टार प्रचारकों की सूची भेज दी थी। साथ ही दोनों दलों का मानना था कि वे स्टार प्रचारक की जनसभा में कई मतदाताओं को रिझाने में कामयाब होंगे, परंतु सोमवार की सायं चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार चुनावी रैली और बड़ी सभाओं की अनुमति नहीं मिल पाने के बाद स्टार प्रचारकों की सभाओं की तैयारी कर रहे दलों के पदाधिकारी मायूस हैं। उनका मानना है कि एक हजार की जनसंख्या बड़े स्टार प्रचारकों के लिए पर्याप्त नहीं होगी। जिन प्रचारकों को न्यूनतम दस हजार की भीड़ चाहिए वे एक हजार की संख्या में बुलाना प्रत्याशी के खर्च में अनावश्यक व्यय बढ़ाना होगा।
नई रणनीति पर करने लगे हैं विचार रू जहां चुनाव आयोग ने भीड़ की संख्या निर्धारित की है वहीं प्रचारकों को लाने के लिए राष्ट्रीय दल अलग रणनीति बनाने पर विचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि स्टार प्रचारक की एक स्थान में जनसभा की जाय जहां पर एक हजार तक की भीड़ हो इसके बाद विभिन्न स्थानों में एक-एक हजार की भीड़ जुटाकर वहां पर बड़े स्क्रीन लगाने की व्यवस्था की जाय ताकि अधिक से अधिक संख्या नेता को सुन सके।
भाजपा के पास कैडर मतदाता है तथा चुनाव निशान को आम जनता जानती है। जनता नरेंद्र मोदी और पुष्कर धामी के कार्यों को देखकर भाजपा के पक्ष में मतदान का मन बना चुकी है। जनता घोटालेबाज कांग्रेस के कारनामों को भूल नहीं सकती है। – शिव सिंह बिष्ट, जिलाध्यक्ष भाजपा
जनता भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों से तंग आ चुकी है तथा कांग्रेस को सत्ता सौंपने का मन बना चुकी है। भाजपा की जनविरोधी नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस सभाएं करने पर विचार कर रही है। – विनोद पाठक, प्रवक्ता कांग्रेस कमेटी
चुनाव आयोग का निर्णय परिस्थितियों के अनुसार सही निर्णय है। जनता भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को जान चुकी है। हम चार साल से जनता के बीच हैं अब मात्र चुनाव चिह्न जनता को बताना है, जिसमें कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं। – भैरव नाथ टम्टा, निर्दलीय प्रत्याशी

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