पिछले दरवाजे से दाखिला लेने वालों से कोई सहानुभूति नहीं: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह पिछले दरवाजे से मेडिकल कालेज में प्रवेश करने वाले छात्रों के प्रति सहानुभूति नहीं दिखा सकता है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और कृष्णा मुरारी ने अपने 20 जुलाई, 2020 के फैसले के खिलाफ छात्रों के एक समूह द्वारा समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ग्लोकल मेडिकल कालेज की एक याचिका को खारिज कर दी गई थी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया द्वारा 67 छात्रों की दाखिला रद करने के फैसले को बरकरार रखा था।
कोर्ट ने पाया था कि उत्तर प्रदेश सरकार की काउंसलिंग की अधिसूचना की पृष्ठभूमि में एमबीबीएस के इन छात्रों ने पाया कि उन्होंने प्राइवेट काउंसिलिंग के जरिये दाखिला लिया था। सहारनपुर के ग्लोकल मेडिकल कालेज ने उक्त अधिसूचना के उल्लंघन में प्राइवेट काउंसिलिंग आयोजित की जो कानून स्वीकार्य नहीं थी। छात्रों को उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा जारी अधिसूचना के बारे में अनभिज्ञ नहीं कहा जा सकता। पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में ऐसे छात्रों को यह बताया जाना चाहिए कि उनके साथ कोई सहानुभूति नहीं की जा सकती।
समीक्षा याचिका दायर करने वालों को डीम्ड विश्वविद्यालय ग्लोकल विवि से संबद्घ मेडिकल कालेज में शैक्षणिक सत्र 2016-2017 के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम के पहले वर्ष में प्रवेश दिया गया था। एमबीबीएस छात्रों ने आदेश की समीक्षा की मांग करते हुए दावा किया कि उन्होंने एनईईटी पास कर ली है और मेडिकल कालेज द्वारा पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है। उन्होंने प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षाओं को पास करने का भी दावा किया।