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पेट्रोल की कीमतों में नरमी की उम्मीद कायम, नुकसान की भरपाई के लिए तेल कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से मांगी मदद

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नई दिल्ली, एजेंसी। पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में अभी राहत मिलने की उम्मीद कायम है, लेकिन उम्मीद कब पूरी होगी इसको लेकर अनिश्चतता है। वजह यह है कि सरकारी तेल कंपनियों को पिछले छह महीनों में काफी ज्यादा घाटा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के सस्ता होने के बावजूद अभी डीजल की कीमत उसकी लागत से कम है। जबकि पेट्रोल बिक्री पर तेल कंपनियों को मुनाफा होने लगा है। तेल कंपनियों की माली हालत को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि वित्त मंत्रालय उन्हें एक बार फिर आर्थिक मदद मुहैया कराये।
अप्रैल से सितंबर, 2022 के दौरान सरकारी क्षेत्र की तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों (इंडियन आयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम) को संयुक्त तौर पर 21,201़18 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। यह बात पेट्रोलियम मंत्रालय एक उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताई है। सरकारी तेल कंपनियों की हालत को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने पिछले महीने उन्हें 22 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मुहैया कराई है। वैसे यह राशि एलपीजी मार्केटिंग में हुई हानि की भरपाई के लिए की गई है, लेकिन अगर यह राशि नहीं मिली होती तो कुल घाटे की राशि और ज्यादा होती। उक्त सूत्रों के मुताबिक तेल कंपनियों ने 06 अप्रैल, 2022 के बाद खुदरा कीमतें नहीं बढ़ाई हैं। जबकि इसके बाद को दो-तीन महीनों में क्रूड की कीमतों में काफी ज्यादा इजाफा हुआ था जो अब कम हो चुकी हैं।
खुदरा कीमत नहीं बढ़ने से देश में महंगाई को थामने में काफी मदद मिली है। इस मदद के लिए तेल कंपनियों को हुई हानि की भरपाई की जानी चाहिए। खुदरा कीमत में किसी तरह के बदलाव से जुड़े सवालों पर सूत्रों का कहना है कि इस बारे में तेल कंपनियों को खुद ही फैसला करना है। अगर वैश्विक हालात व अपनी माली हालत को देख कर उन्हें कीमतें घटाने की जरूरत महसूस होती है तो वह यह कर सकती हैं। तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार की अनिश्चतता की वजह से भी जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहती। अभी क्रूड की कीमत 82 डलर प्रति बैरल के करीब है जो जून, 2022 की औसत कीमत 116 डलर प्रति बैरल से काफी कम है, लेकिन आगामी सोमवार से हालात में बदलाव भी हो सकते हैं।
रूस से उत्पादित क्रूड की कीमत पर नई सीमा तय की जानी है जिसकी घोषणा अगले दो दिनों के भीतर होगी। इससे कीमतें फिर से अस्थिर हो सकती हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय के उक्त सूत्रों का कहना है कि, अनिश्चित माहौल है, ऐसे में पर्याप्त क्रूड खरीदना और देश के पेट्रोल पंपों पर पर्याप्त ईंधन उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अमेरिका व यूरोपीय देशों की तरफ से रूस की क्रूड पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद भारत रूस से क्रूड खरीदना बंद नहीं करेगा। अपने देश के नागरिकों को पर्याप्त ईंधन उपलब्ध कराने के लिए भारत हर जगह से क्रूड खरीदने की नीति पर कायम रहेगा।
पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से वित्त मंत्रालय से इस बार एलपीजी सब्सिडी को भी बढ़ाने की मांग की जाएगी, लेकिन रसोई गैस पर पुरानी सब्सिडी स्कीम लागू करने की सरकार की कोई सोच नहीं है। उज्जवला के नये कनेक्शन देने को लेकर जो सब्सिडी का फार्मूला है वहीं जारी रखा जाएगा या दूर-दराज के इलाकों में जो सब्सिडी दी जाती है वह जारी रहेगी। इस वित्त वर्ष के दौरान पेट्रोलियम मंत्रालय ने उक्त मद में 28 हजार करोड़ रुपये की मांग की थी लेकिन सिर्फ 22 हजार करोड़ रुपये ही दिए गए हैं।

 

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