उत्तराखंड

धूमधाम से मनाई गई बूढ़ी दीपावली

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बागेश्वर। बूढ़ी दीपावली (इगास) पर्व को लेकर लोग बुधवार की सुबह से तैयारियां में जुटे रहे। देव मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई। हरिबोधिनी एकादशी पर्व पर महिलाओं ने व्रत धारण किया और आंगन में तुलसी की पूजा की। बच्चों ने आतिशबाजी भी की। शुक्रवार को बागेश्वर जिले में बूढ़ी दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। दरअसल भगवान राम के 14 साल बाद वनवास पूर्ण कर अयोध्या पहुंचने की खुशी में दीप प्रज्ज्वलित कर दीपावली मनाई जाती है। पहाड़ों में उनके आगमन की सूचना 11 दिन बाद यानि देवोत्थान एकादशी को पहुंची। तब से अभी तक लोग पूरी आस्था के साथ बूढ़ी दीपावली कउत्सव मनाते हैं। पंडित घनानंद कांडपाल ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अयोध्या आगमन के साथ, भगवान विष्णु और लक्ष्मी से जुड़ी किवंदती भी है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन लक्ष्मी जागृत होती है, इसलिए बग्वाल को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। वहीं, हरिबोधिनी एकादशी पर श्रीहरि शयनावस्था से जागृत होते हैं। इसलिए इस दिन विष्णु की पूजा का विधान है। जिस तरह देश के विभिन्न क्षेत्रों में काद्दतक ष्ण त्रयोदशी से शुरू होकर गुरु पर्व (काद्दतक पूर्णिमा) तक दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इधर, जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने हरिबोधिनी एकादशी की लोगों को बधाई दी है। उन्होंने सुख-शांति एवं समृद्घि की कामना की।

 

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