ऑनलाइन शिक्षण पद्धति वर्तमान समय की मांग

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संवाददाता, ऋषिकेश। राजकीय महाविद्यालय पोखरी क्वीली में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में वक्ताओं ने 21वीं सदी में ऑनलाइन शिक्षण पद्धति को जरूरी बताया। कहा कि जो छात्र व शिक्षक ऑनलाइन शिक्षण पद्धति से नहीं जुड़ पा रहे हैं, वो आगे व्यवस्था के लिए चुनौती हैं। राजकीय महाविद्यालय पोखरी क्वीली में हिंदी विभाग द्वारा ऑन लाइन शिक्षण पद्धति उपलब्धियां, समस्याएं व संभावनाएं विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक डा. एनपी माहेश्वरी ने कहा कि वर्तमान दौर में ऑनलाइन शिक्षा की प्रबल आवश्यकता है। ऑनलाइन कोर्स परंपरागत कोर्स की अपेक्षा कम खर्चीले, लचीले व अधिक विकल्प आदि की सुविधा से युक्त होते हैं। लेकिन ऑनलाइन कोर्स डिजाइन करते समय कंटेंट कलेक्शन, कंटेंट मैनेजमेंट, कनेक्टिविटी, कॉर्डिनेशन, कैपिसिटी बिल्डिंग आदि का ध्यान रखना चाहिए। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सुमिता श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय में ऑनलाइन शिक्षण पद्धति की मांग है। कुछ छात्र पूर्व से ही ऑन लाइन शिक्षण पद्धति से परिचित हैं एवं सहज है। लेकिन अभी भी जो छात्र व शिक्षक ऑनलाइन शिक्षण पद्धति से नहीं जुड़ पा रहे हैं, वो व्यवस्था के लिए चुनौती हैं। सीएल पीजी कॉलेज लंढौरा, रुड़की के प्राचार्य डा. सुशील उपाध्याय ने कहा कि आने वाला समय क्लासरूम टीचिंग, ऑनलाइन टीचिंग व डिस्टेंस लर्निंग तीनों माध्यम का समावेश होगा। इस समय समाज डिजिटली डिवाइड है। भेल हरिद्वार के उप अभियंता प्रवीण बौद्ध ने कहा कि वर्तमान में छात्रों को पढाने के लिए 21वीं सदी के संसाधन ही होने चाहिए। शिक्षकों द्वारा छात्रों को मैत्रीपूर्वक, दार्शनिक व मनोवैज्ञानिक तरीके से पढ़ाना चाहिए।
वेबिनार में अदिति महाविद्यालय दिल्ली विवि की एसोसिएट प्रोफेसर डा. नीलम राठी, महात्मा गांधी संस्था मॉरीशस के एसोसिएट प्रोफेसर डा. विनय गुदारी, डा. अरुण कुमार, डा. विवेकानंद भट्ट, डा. मुकेश सेमवाल, डा. वंदना सेमवाल, सुरेंद्र बिजल्वाण, नरेंद्र बिजल्वाण आदि उपस्थित थे।

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