पंजाब की मुश्किल घड़ी में सिर्फ 1,600 करोड़, जबकि बिहार को मिला 7,500 करोड़- भगवंत मान

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चंडीगढ़ , बाढ़ के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब के लोग संकट की घड़ी में राज्य के साथ धोखा करने वाले असंवेदनशील और अवसरवादी नेताओं को कभी माफ नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विशेष सत्र बाढ़ के बाद राज्य के पुनर्वास पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, लेकिन इन नेताओं की संकीर्ण मानसिकता के कारण यह आलोचना तक सिमट गया। उन्होंने कहा कि पंजाब, भाग्यशाली धरती है और यहां सब कुछ खो देने के बाद भी फिर से उभरने की प्रवृत्ति है, लेकिन पीठ में छुरा घोंपने वाले ऐसे नेताओं ने हमेशा इसे बर्बाद करने की कोशिश की है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं भी पंजाबियों की कड़ी मेहनत और दृढ़ इरादों के सामने झुक जाती हैं। उन्होंने पंजाबियों की बहादुरी से अवगत कराने के लिए सरागढ़ी की लड़ाई, लोंगोवाल की लड़ाई और अन्य ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी देश को किसी समस्या या मुश्किल का सामना करना पड़ा है, पंजाब ने ढाल बनकर देश को बचाया है, चाहे वह देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना हो, अपनी सीमाओं की रक्षा करना हो या राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम हो। उन्होंने कहा कि जब पंजाब पर कोई संकट आता है, तो केंद्र सरकार हमारी समस्याओं के प्रति उदासीन रवैया अपनाती है और संकट में पंजाब को अपने हाल पर छोड़ देती है।
भगवंत सिंह मान ने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि दीनानगर हमले के बाद पंजाब को भारतीय सेना की लागत चुकाने के लिए कहा गया था, जो सीमा पार से हुए आतंकी हमले को नाकाम करने के लिए पंजाब आई थी। इस गंभीर संकट की घड़ी में सभी पंजाबियों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को फिर से खड़ा करना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह पंजाब के लिए प्रधानमंत्री के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग से नहीं डरते और राज्य के हितों की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है क्योंकि इतिहास उन सभी को याद रखेगा जिन्होंने इस संकट की घड़ी में राज्य की भलाई के लिए काम किया और जिन्होंने रुकावटें खड़ी कीं।

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