उत्तराखंड

केदारनाथ में शीतकाल में पुनर्निर्माण कार्यों का विरोध

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रुद्रप्रयाग)। केदारनाथ में शीतकाल में हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों का केदारसभा ने विरोध किया है। केदारसभा ने उप जिलाधिकारी ऊखीमठ को दिए ज्ञापन में कहा कि शासन-प्रशासन को शीतकाल में केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्य बंद कर देने चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई तो केदारसभा के सदस्य न्यायालय की शरण लेने के साथ ही आंदोलन के लिए विवश होंगे। उप जिलाधिकारी ऊखीमठ को दिए ज्ञापन में केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी एवं महामंत्री राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि केदारनाथ धाम पर्यावरण की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील स्थान है। यात्राकाल के बाद शीतकाल में धाम में निर्माण कार्य चलते रहना अनुचित ही नहीं बल्कि यहां की परम्पराओं के खिलाफ है। इसलिए शीतकाल में यहां पुनर्निर्माण कार्यों पर विराम लगा दिया जाए। कहा कि केदारनाथ के पुरोहितों ने पुनर्निर्माण कार्यों में निरंतर सरकार का साथ दिया है किंतु कतिपय तीर्थपुरोहितों को न्यायालय का हवाला देकर जबरन पुनर्निर्माण के लिए अनुबंध हस्ताक्षरित कराए जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में पूर्व में भी केदारसभा द्वारा विभिन्न अवसरों पर मौखिक एवं लिखित रूप से आपत्ति दर्ज की जा चुकी है। कहा कि किसी भी तीर्थपुरोहित से जबरन अनुबंध हस्ताक्षरित न कराए जाएं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में निर्माणाधीन भवनों की अत्यधिक ऊंचाई के विरोध में केदार सभा द्वारा कई बार अपना पक्ष रखा गया है। धाम की भौगौलिक परिस्थितियों को देखते हुए यहां चार मंजिला भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मंदाकिनी नदी के घाट या तटों पर बार-बार कटान करना उचित नहीं है, किंतु तीर्थपुरोहितों के बार-बार विरोध के बाद भी शासन-प्रशासन द्वारा यह कार्य निंरतर जारी रखे हुए हैं, जिसके भविष्य में गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार एवं प्रशासन की इसी तरह कार्यशैली रही तो केदारसभा न्यायालय की शरण लेने के साथ ही अपने अधिकारों की रक्षा के लिए शीतकाल में भी केदारनाथ धाम में आंदोलन के लिए बाध्य होगी।

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