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पहाड़ों में भी पैर पसार चुका कोरोना , सरकार बनी हुई है उदासीन: प्रीतम सिंह 

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संवाददाता, देहरादून। प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय देहरादून में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक कर उत्तराखण्ड प्रदेश में कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों पर चिन्ता प्रकट की। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक सुरक्षित प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में भी कोरोना महामारी अपने पैर प्रसार चुकी है तथा सरकार इन मामलों के प्रति उदासीन बनी हुई है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के मरीज मिलना चिन्ता का विषय है क्योंकि वहां पर न तो स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध हो पा रही हैं और न ही अन्य किसी प्रकार की सहायता लोगों को मिल पा रही है। उन्होंने सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील की कि अपने-अपने क्षेत्रों में जरूरतमंदों की हर संभव सहायता करें। इसके उपरान्त प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मीडिया चेयरमैन राजीव महर्षि, महामंत्री संगठन विजय सारस्वत एवं पूर्व मंत्री अजय सिंह ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रवासी नागरिकों की वापसी पर उन्हें जिस प्रकार क्वारेंटाइन किया जा रहा है वह मात्र खानापूर्ति के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है तथा इससे महामारी की रोकथाम में किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पायेगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक भवनों एवं विद्यालयों में जो क्वारेंटाइन सैन्टर बनाये गये हैं उनमें सभी जगह के लोगों को एक साथ रखा ज रहा है जो कि उचित नहीं है क्योंकि गांव पहुंचने वाले लोग अलग-अलग श्रेणी के राज्यों से पहुंच रहे हैं जिनमें कुछ ग्रीन जोन से हैं तो कुछ रेड जोन व बफर जोन से भी हैं। ऐसे में सबको एक साथ क्वारेंटाइन किया जाना खतरनाक साबित हो सकता है।
कांग्रेस नेता एवं निवर्तमान मीडिया चेयरमैन राजीव महर्षि ने कहा कि इस संदर्भ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री से पूर्व में भी आग्रह किया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर बाहर से आने वाले प्रवासियों के क्वारेंटाइन की व्यवस्था बेस कैम्पों में ही की जानी चाहिए तथा बेस कैम्पों में जगह की कमी होने पर जिला मुख्यालय या तहसील मुख्यालय या ब्लाक मुख्यालयों में क्वारेंटाइन सैन्टर बनाये जाने चाहिए परन्तु राज्य सरकार द्वारा ऐसा नहीं किया गया जिसका नतीजा पर्वतीय क्षेत्र एवं ग्रीन जोन में संक्रमितों की संख्या बढ़ने के तौर पर सामने है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उत्तराखण्ड राज्य पर्यटन आधारित राज्य है तथा यहां पर होटलों एवं गेस्ट हाउसों की कमी नहीं है ऐसे में जो लोग भुगतान करने की स्थिति में हैं उनके लिए राज्य सरकार को क्वारेंटाइन सैन्टर के रूप में फिक्स धनराशि पर होटलों को अधिग्रहित करना चाहिए तथा जो लोग स्वयं से भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं उन्हें सरकारी अतिथिगृहों में ही क्वारेंटाइन किया जाना चाहिए ताकि उनके खान-पान की व्यवस्था हो सके।

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