उत्तराखंड

कालीमठ में 12 वर्षो बाद हो रहा पांडव नृत्य का आयोजन

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रुद्रप्रयाग।  कालीमठ में 12 वर्षो बाद अस्त्र-शस्त्रों की पूजा अर्चना एवं वैदिक मंत्रों के साथ पांडव नृत्य शुरू हो गया। वाध्य यंत्रों के साथ पांडव पश्वा नृत्य कर रहे हैं जिसको देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। 22 दिसम्बर को पैंयाडाली कौथिग एवं दुर्योधन बध के साथ पांडव नृत्य का समापन किया जाएगा। महालक्ष्मी मंदिर प्रांगण कालीमठ में करीब बीस दिनों तक चलने वाले पांडव नृत्य में प्रतिदिन लोग मंचन को देखने पहुंच रहे हैं। लंबे समय बाद हो रहे पांडव नृत्य को लेकर प्रवासी एवं धियाणियां भी अपने मायके आने लगी हैं। पांडव नृत्य समिति के अध्यक्ष शिव सिंह राणा ने बताया कि कालीमठ में 12 वर्षो बाद पांडवनृत्य का आयोजन शुरू हो गया है। जिसको लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह है। बताया कि 11 दिसम्बर पांडव अस्त्र शस्त्रों के साथ विधिवत नृत्य करेगे। 12 से 15 दिसम्बर तक नगर भ्रमण, 16 दिसम्बर को गंगा पूजन एवं स्नान, 17 दिसम्बर से नृत्य एवं लीला, 20 दिसम्बर को गैंडा कौथिग, 21 दिसम्बर पांडवों की केदारनाथ यात्रा, 22 दिसम्बर को दर्योधन बध, हाथी कौथिग एवं पैंया डाली कौथिग के साथ पांडव नृत्य का समापन किया जाएगा। कालीमठ के साथ कोटमा, व्यूंखी, कुणजेठी, गुप्तकाशी, ऊखीमठ, देवर, सांकरी समेत कई स्थानों साथ ही कालीमठ मंदिर पहुंच रहे भक्त भी पांडव नृत्य में पहुंचकर पुण्य अर्जित कर रहे है। इस मौके पर पांडव समिति के अध्यक्ष शिव राणा, महामंत्री लखपत सिंह राणा, प्रधान गजपाल सिंह, क्षेपंस राकेश सिंह, महिला मंगल दल बिन्दु देवी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

 

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