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पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल, बीमार को डंडी से तीन किमी पैदल चल पहुंचाया सड़क तक

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गैरसैंण(चमोली)। चमोली जिले के गैरसैंण स्थित तेवाखर्क गांव में शनिवार की सुबह गांव की 52 वर्षीय धर्मा देवी की अचानक तबीयत खराब हो गई। ग्रामीणों ने महिला को डंडी पर बैठाकर करीब तीन किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया। इसके बाद उन्हें रानीखेत में निजी वाहन से भेजा। वहीं, स्यूणीमल्ली में भी बीमार को मुख्य सड़क तक ग्रामीणों ने डंडी-कंडी का सहारा लिया।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। हालात ये हैं कि कई गावों में अचनाक किसी के बीमार पड़ जाने पर ग्रामीणों को उन्हें पैदल ही सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। शनिवार को ऐसा ही एक मामला गैरसैंण के तेवाखर्क गांव में देखने को मिला। ग्राम प्रधान हेमा बिष्ट ने बताया कि आए दिन क्षेत्र में इस तरह की परेशानी से ग्रामीण दोचार हो रहे हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नही है।
इसी तरह बीते 21 अप्रैल को गांव से गर्भवती महिला को डंडी-कंडी के सहारे अस्पताल पहुंचाया गया था, जबकि 29 फरवरी को क्षेत्र के ग्रामीणों ने तीन किमी दूर गैरसैंण मुख्यालय पहुंच सड़क की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया और रामलीला मैदान में भूख हड़ताल भी की। जिसपर क्षेत्रीय विधायक एसएस नेगी ने मामले का संज्ञान लेते हुए दो माह का समय मांगा और आंदोलनकारियों को मई माह तक सड़क निर्माण कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया गया, लेकिन छह माह बाद भी मालकोट-सेरा-तिवाखर्क स्वीत मोटर मार्ग पर कार्य शुरू नही हो सका है।
वहीं, इस बारे में लोनिवि गैरसैंण के अधिशासी अभियंता एमएच बेडवाल ने बताया कि मालकोट-सेरा-तेवाखर्क तीन किमी सड़क की स्वीति 2012 में होने के बाद सर्वे और वन भूमि संबधी तमाम औपचारिकता पूरी कर दो करोड़ का इस्टीमेट शासन को भेजा गया है, जिसकी स्वीति बाद सड़क निर्माण प्रारंभ हो सकेगा।

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