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पौड़ी गढ़वाल में घुस सकता है यूपी पुलिस के आठ पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने वाला विकास दुबे, पुलिस अलर्ट पर, दुबे से भी खतनाक कुख्यात चौबे घुसा था उत्तराखण्ड में

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तर प्रदेश में सीओ सहित आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाला कुख्यात विकास दुबे की लोकेशन उत्तराखण्ड के जनपद पौड़ी गढ़वाल की सीमा से लगे बिजनौर में मिलने पर पौड़ी गढ़वाल पुलिस हाई अलर्ट पर आ गई है। बिजनौर जनपद की सीमा से लगे पौड़ी गढ़वाल की कोटद्वार कोतवाली क्षेत्र के सभी रास्तों पर नाकेबंदी कर दी गई है।
पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले विकास दुबे की दहशत से पौड़ी गढ़वाल की पुलिस सतर्कता के साथ नाकेबंदी कर रही है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड को जोड़ने वाले मेरठ-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग के अन्र्तजनपदीय चेक पोस्ट कौड़िया पर पौड़ी गढ़वाल पुलिस ने रेत के कट्टों से वाच पोस्ट बनाई है। ताकि वाच करने वाले पुलिस कर्मी सुरक्षित रहे। इसी तरह उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की सीमा को जोड़ने वाली कोटद्वार क्षेत्र के अन्तर्गत सनेह और चिल्लरखाल चेक पोस्ट में भी अलर्ट रखा गया है। वहां पर भी रेत के कट्टों से वाच पिकेट बनाई जा रही है।
उत्तर प्रदेश से सटी जिले की सभी सीमाओं पर पुलिस सख्ती से वाहनों की चेंकिग कर रही है। पुलिस कर्मियों की हत्या के आरोपित विकास दुबे के उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में दिखने के बाद जनपद पौड़ी में सीमाओं पर सख्ती बढ़ा दी गई थी। एसएसपी दिलीप कुंवर ने बताया कि पूरे जिले में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है। कोटद्वार, कालागढ़, धुमाकोट, थलीसैंण, श्रीनगर, देवप्रयाग क्षेत्रों में पुलिस टीमों को सीमाओं पर चेकिंग के निर्देश दिए हैं। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनोज रतूड़ी ने बताया कि सेंड बैग का मोर्चा बनाया गया है। मोर्च पर हर समय सशस्त्र पुलिस कर्मी तैनात रहेगें। जो हर प्रकार की चुनौती से निपटने को तैयार रहेगें। रात में वाहनों की चेकिंग में किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसलिए दो हाइड्रोजन लाइटें लगाई गई है। कोतवाल ने बताया कि कौड़िया चेक पोस्ट समेत जनपद बिजनौर की सीमा से सटी अन्य चेक पोस्टों पर भी सर्तकता बरती जा रही है।


उत्तराखंड घुस सकता है विकास दुबे
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार विकास दुबे को बिजनौर में देखे जाने के बाद उत्तराखंड में भी हलचल मच गई है। चूंकि, कई सालों से उत्तराखंड में यूपी व बिहार के कई बदमाश पनाह लेते रहे हैं। कई साल पहले देहरादून में छिपे बदमाश सूरजपाल पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इधर, विकास दुबे भी फरार चल रहा है। और बिजनौर में उसकी आमद भी हो चुकी है। लिहाजा, पुलिस सूत्रों का भी मानना है कि दुर्दांत विकास दुबे सुरक्षित ठिकाने की तलाश में कौशल चौबे की तरह उत्तराखंड की सरहद में घुस सकता है।

दुबे से भी खतनाक कुख्यात चौबे घुसा था उत्तराखण्ड में
ज्ञात हो कि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के कुख्यात 2 लाख का इनामी बदमाश कौशल चौबे पूरे 15 साल तक उत्तर प्रदेश की पुलिस व एसटीएफ को चकमा देने में सफल रहा था। आखिर में उत्तराखंड की एसटीएफ ने पुलिस कांस्टेबल व बलिया में चार लोगों की दिनदहाड़े हत्या कर फरार हुए दुर्दांत अपराधी को 15 साल बाद 2019 में देहरादून में गिरफ्तार किया। कौशल चौबे ने 2004 में बलिया (मांझी) लोक निर्माण विभाग के टेंडर में हुए विवाद में चार लोगों की हत्या कर दी थी। हिस्सेदारी को लेकर अपने ही पार्टनर पप्पू सिंह गिरोह के चार लोगों को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया था। यह वारदात लोनिवि के कार्यालय में ही हुई। इस फायरिंग में कौशल का भतीजा शेरा चौबे भी घायल हो गया था। शेरा को अस्पताल ले जाने वाले कुख्यात कौशल का बेटा अंशुमान भी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। खूनी जंग का यह सिलसिला यही नहीं थमा। पप्पू सिंह गिरोह ने जवाबी कार्रवाई में कौशल चौबे के भाई शैलेन्द्र को गोलियों से भून दिया। बदले में कौशल गैंग ने पप्पू सिंह गिरोह के दो बदमाश मार दिए।


ट्रेजरी अकाउंटेंट से कैसे बना कौशल चौबे बदमाश
इससे पूर्व 1990 में कौशल चौबे बलिया ट्रेजरी में अकाउंटेंट के पद पर काम करता था। ग्राम प्रधान की जंग में विरोधी गुट ने कौशल के पिता को गोली मार दी। गोली मारने वाले पप्पू चौबे को कौशल ने गोली मार दी और सरेंडर कर दिया।

2002 में डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर की हत्या
हत्या, गैंगस्टर व बलवा के आरोपी बदमाश कौशल चौबे ठेके हथियाने में हथियारों का खुल कर उपयोग करने लगा। 2002 में सेतु निगम के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर सुशील चंद्र राय को दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया। इस हत्याकांड के बाद बलिया व आस पास के इलाके में कौशल चौबे की तूती बोलने लगी।

204 में की सिपाही हत्या
2004 में कौशल चौबे ने रेलवे स्टेशन में ही एक इंजीनियर की हत्या कर दी थी। इस हमले में जीआरपी के एक व पुलिस के दो सिपाहियों पर हमला हुआ। इस खूनी लड़ाई में एक सिपाही शहीद हो गया था। कुख्यात चौबे फरार हो गया। इस घटना के बाद 29 मुकदमों व 2 लाख का इनामी बदमाश कौशल चौबे उत्तर प्रदेश की सीमा से बाहर निकल उत्तराखंड व हिमाचल में रहकर अपने कारनामो को अंजाम देता रहा। यहीं बैठकर वह अपने गुर्गों के जरिये ठेके व रंगदारी वसूलने लगा।

आमना-सामना हुआ शिमला में
जब कौशल चौबे शिमला में छुपा हुआ था। उस समय उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम से उसका आमना-सामना भी हो गया था। लेकिन अत्याधुनिक हथियारों से लैस शातिर कौशल चौबे साफ बच निकला।

ऋषिकेश भी आयी पुलिस
इसी दौरान उत्तराखंड के हरिद्वार में पूजा पाठ सामग्री का कार्य शुरू करने के अलावा बलिया के ठेकों पर भी दबदबा बनाये रहा। एक बार ऋषिकेश के आस पास रह रहे कौशल चौबे के यहां विवाह समारोह में भी उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने भी दबिश दी थी। पुलिस को उम्मीद थी कि कौशल चौबे शादी समारोह में मिलेगा, लेकिन पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया।

उत्तराखंड में यहां छुपा था कुख्यात चौबे
शिमला में पुलिस से मुठभेड़ के बाद चौबे उत्तराखंड की सीमा में दाखिल हो गया। यहां वह पुलिस की निगाह से बचने के लिए लगातार ठिकाने बदलता रहा। बदमाश चौबे ने देहरादून-मसूरी मार्ग के प्रसिद्ध भट्टा गांव में अपनी शरण स्थली बनाई। इसके अलावा 2 लाख का इनामी बदमाश हरिद्वार-ऋषिकेश से सटे रायवाला, हरिपुरकलां, नेपाली फार्म में भी ठिकाने बदलता रहा। पत्नी के साथ फ्लैट में रहता था। नरेन्द्रनगर में भी चौबे ने काफी समय बिताया।

 

2019 में उत्तराखण्उ एसटीएफ ने दबोचा था इनामी कुख्यात
इस दौरान उत्तराखंड एसटीएफ को 15 साल से फरार व 2 लाख के इनामी गैंगस्टर कौशल चौबे के देहरादून आने की टिप्स मिली। एसटीएफ प्रमुख रिद्धिमा अग्रवाल ने इंस्पेक्टर संदीप नेगी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया। 29 मई 2019 की दोपहर। चिलचिलाती गर्मी। तापमान 39.7 डिग्री को छू रहा था। एसटीएफ की टीम रिस्पना पुल से आगे कुख्यात को पकड़ने के लिए जाल बिछा चुकी थी। हरिद्वार बाईपास रोड पर मीनाक्षी होटल के समीप पहुंचते ही मुस्तैद उत्तराखंड एसटीएफ की टीम ने कई जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे चुके चौबे को दबोच लिया। हथियारों से लैस चौबे को सम्भलने का मौका ही नही मिला। चौबे देहरादून में अपने पुत्रों कीर्तिमान व दीप्तिमान से मिलने आ रहा था।

लोडेड था कुख्यात चौबे
चौबे को जिस समय गिरफ्तार किया गया उस समय वह अत्याधुनिक पिस्टल से लैस था। ऑस्ट्रिया की .40 पॉइंट की ग्लोक पिस्टल, 4 मैगजीन व 57 जिंदा कारतूस बरामद हुए। पिस्टल की कीमत 50 लाख आंकी गई। एसटीएफ से थोड़ी चूक होती तो मोस्ट वांटेड चौबे बलिया की तरह गोलियां बरसा खून की होली खेलने में सफल हो सकता था। जान पर खेल कर की गई इस गिरफ्तारी में उत्तराखंड एसटीएफ के निरीक्षक संदीप नेगी, हेड कांस्टेबल वेदप्रकाश भट्ट, सिपाही लोकेंद्र सिंह व महेन्द्र सिंह को उत्तर प्रदेश का घोषित इनामी राशि 2 लाख भी मिली। आखिरकार 15 साल से पुलिस का सिरदर्द बना 2 लाख का हिस्ट्रीशीटर कौशल चौबे देहरादून जेल में बंद है।

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