परवेज मुशर्रफ की हालत नाजुक, परिवार ने कहा- वे इस स्थिति में, जहां से रिकवरी संभव नहीं

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इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान के पूर्व परवेज मुशर्रफ को लेकर शुक्रवार को बड़ी खबर आई। बताया जा रहा है कि उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो मुशर्रफ को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। मुशर्रफ को दिल और अन्य बीमारियों की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वे दुबई के एक अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं।
मुशर्रफ के करीबी सहयोगी और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया कि मुशर्रफ संयुक्त अरब अमीरात के एक अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। मुशर्रफ को वेंटिलेटर पर रखा गया है। इमरान खान सरकार में सूचना मंत्री रहे फवाद चौधरी एक समय में मुशर्रफ के प्रवक्ता थे।
चौधरी ने कहा कि उन्होंने मुशर्रफ के बेटे से बात की है, जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति के बीमार होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मैंने अभी दुबई में जनरल मुशर्रफ के बेटे बिलाल से फोन पर बात की है, जिन्होंने पिता के वेंटिलेटर पर होने की पुष्टि की।
इस बीच अल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष इफजाल सिद्दीकी ने कहा कि जनरल परवेज मुशर्रफ घर पर हैं और मामूली रूप से बीमार हैं। पया फर्जी खबरों पर ध्यान नहीं दें। उनकी अच्छी सेहत के लिए दुआ करें।
हालांकि, मुशर्रफ के ट्विटर हैंडल पर शाम छह बजे एक संदेश डाला गया। इसके मुताबिक, वह वेंटिलेटर पर नहीं हैं। अपनी बीमारी (एमाइलयडोसिस) की जटिलता के कारण पिछले तीन सप्ताह से अस्पताल में भर्ती हैं। वह इस हालत में पहुंच गए हैं, जहां से रिकवर होना संभव नहीं है। उनके कई अंग खराब हो चुके हैं। आप सभी उनके लिए दुआ करें।
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को विशेष अदालत ने 2019 में जद्रोह का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। वह पाकिस्तान के इतिहास में पहले सैन्य शासक हैं, जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। वह 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ कर सत्ता पर काबिज हुए और 2008 तक सत्ता संभाली। मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहने के अलावा पाकिस्तान की सेना के मुखिया भी रह चुके हैं। करगिल की लड़ाई के लिए मुशर्रफ को ही सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाता है। उन्होंने नवाज शरीफ का तख्तापलट किया था।
मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने पूर्व-सेना प्रमुख के खिलाफ नवंबर 2007 में अतिरिक्त संवैधानिक आपातकाल लगाने के खिलाफ 2013 में देशद्रोह का मामला दर्ज किया था, जिसके चलते कई श्रेष्ठ न्यायालय के न्यायाधीशों को जेल में डाल दिया गया था। साथ ही 100 से अधिक न्यायाधीशों की बर्खास्तगी की गई थी।

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