कोटद्वार-पौड़ी

….इस अतिक्रमण पर भी ध्यान दे लो साहब, बन रहा मुसीबत

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स्टेशन रोड व उमानंद बड़थ्वाल मार्ग पर पसरे अतिक्रमण को किया जा रहा अनदेखा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : उच्च न्यायालय के आदेश पर सरकारी सिस्टम निगम की नजूल भूमि खाली करवाने में जुटा हो। लेकिन, हकीकत यह है कि शहर वासियों के लिए नासूर बन चुके स्टेशन रोड व उमानंद बड़थ्वाल मार्ग को अतिक्रमण मुक्त करवाने की सरकारी सिस्टम ने आज तक सुध नहीं ली। नतीजा, सड़क पर सजी दुकानों के कारण आमजन का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। संकरी हो चुकी सड़कों पर हर समय दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। स्थिति देखकर लगता है मानो सिस्टम को किसी बड़े हादसे का इंतजार हो।
गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में अतिक्रमण एक विकराल समस्या बनती जा रही है। प्रत्येक वर्ष अतिक्रमण पर लाल निशान लगाने के बाद खानापूर्ति कर सरकारी सिस्टम गहरी नींद में सो जाता है। लेकिन, वर्तमान में उच्च न्यायालय ने सिस्टम को अपनी नजूल भूमि खाली करवाने के सख्त आदेश दिए हैं। ऐसे में नगर निगम व प्रशासन एक बार फिर अतिक्रमण को लेकर सड़क पर उतरा है। कुछ सप्ताह पूर्व झंडाचौक से कोतवाली परिसर तक नगर निगम के बरामदे खाली करवाए गए। करीब एक दर्जन बरामदों को ध्वस्त करने के बाद अन्य व्यापारियों को स्वयं ही बरामदे खाली करने की चेतावनी दी गई। यही नहीं, कुछ दिन पूर्व नगर निगम व प्रशासन ने गोखले मार्ग भी अतिक्रमण पर लाल निशान लगाए थे। लेकिन, अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कहने वाले सरकारी सिस्टम को आज तक स्टेशन रोड व उमानंद बड़थ्वाल मार्ग पर फैला अतिक्रमण नहीं दिखाई दिया। स्टेशन रोड में सड़क तक सजी दुकानों के कारण वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण कई घंटों तक जाम की स्थिति बनी रहती है। यही स्थिति उमानंद बड़थ्वाल मार्ग पर भी बनी रहती है। दोनों ही स्थानों पर पूर्व में कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। बावजूद सरकारी सिस्टम की इन मार्गों को लेकर चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।

बसों का संचालन हो रहा मुश्किल
स्टेशन रोड पर पसरे अतिक्रमण के कारण बसों को खड़े होने का स्थान तक नहीं मिल पाता। यदि चालक व्यापारियों को सड़क से सामान हटाने के लिए कहते हैं तो वह उसने लड़ने को तैयार हो जाते है। इसके कारण पूर्व में कई बार विवाद की स्थिति भी पैदा हो चुकी है। यही नहीं, यात्रियों को भी सड़क पर खड़े रहकर बस का इंतजार करना पड़ता है।

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