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मंत्री हरक सिंह के नाम समर्थक का खुला पत्र, कहा आहत हूं मेरा खर्चा लौटा सको तो लौटा दें

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
क्षेत्रीय विधायक एवं काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के करीब एवं बेस हॉस्टिपल में कोविड प्रतिनिधि सुधीर बहुगुणा ने मंत्री के नाम सोशल मीडिया पर खुला पत्र लिखकर कहा है कि उनके दरवार में मेरी नहीं सुनी जा रही है। जिससे पिछले चार सालों से जुड़े रहने के बाद अपने आप को अब ठगा महसूस कर रहा हूं। सुधीर बहुगुणा ने कोटद्वार वन विभाग व बेस हॉस्पिटल में हुई नियुक्तियों में उनकी अनदेखी को कारण बताते हुए घोषणा की कि वह आज शनिवार को उनके बेस हॉस्पिटल कोटद्वार के प्रतिनिधि का पद छोड़ देगें। सोशल मीडिया फेसबुक पर सुधीर बहुगुणा की पोस्ट जो दैनिक जयन्त को प्रकाशन के लिए भेजी गई है, को निम्न प्रकार मूल रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

फेसबुक सोशल मीडिया पर क्षेत्रीय विधायक एवं काबीना मंत्री के साथ रहने वाले प्रेस सचिव रहे और वर्तमान में बेस हॉस्टिल के कोरोना प्रतिनिधि सुधीर बहुगुणा का खुला पत्र वायरल हो रहा है। वायरल हो पत्र में सुधीर बहुगुणा ने कहा कि
‘‘दोस्तों मेरी अस्पताल में इस महां मारी में यदि कोई कमी रही तो मै क्षमा प्राथी हूं कुछ दिन पहले रास्ता कैफे वाले के साथ हुये विवाद और मन्त्री जी के द्वारा मुझे अबतक कुछ सहानुभूति ना देने से मै बड़ा आहत हूं मुझे गहरा दु:ख हुवा कि जिस नेता के लिये मै इतना संघर्ष कर रहा हूं वह ऐसा व्यवहार करेगा मै सेच नहीं सकता। यह वीडियों मै इसलिये डाल रहा हूं कि जब मै जन संघर्ष में होता हूं तो मुझे किसी पद किसी नेता की पहचान की जरुरत नहीं मै ऐसे जमीनी लड़ाई 1992 से लड़ता हूं और राज्य आन्दोलन में भी ऐसे ही लड़ाई उस वक्त स्व. श्री नन्दन सिहं रावत,भाई विनोद रावत, दीवान सिंह रावत, कुलदीप नौटियाल आदि उस वक्त के सभी नेताओं के साथ लड़ा हूं। इसलिये मुझे किसी पद की जरूरत नहीं। इसीलिये मैं आज अपने अस्पताल प्रतिनिधि के पद को छोड दूंगा क्यूंकि मंत्री ने संज्ञान ना लेकर मेरे सम्मान को ठेस पहुंचाया है। शुक्र है बचपन से जनसेवा की है तभी भाग्य से जिन्दा हूं वरना कोरोना होकर भी अस्पताल में कौन सेवा करे। बस तीन चीजों से आहत हूं। एक परसों की घटना, दूसरा अस्पताल में जो 25 वार्ड ब्याय लगे उसमें पार्षद गणों व पार्टी कार्यकर्ताओं ने मुझे प्रतिनिधि के रुप में दिये पर सूरू गुसांई ने वहां अपने लोग लगा दिये मेरे कागज मेरे पास ही रह गये वो मैं उन्हें लौटा दूंगा, तीसरा कुछ लोग वन विभाग में लगे जिसमें कुछ कागज खुद मंत्री ने दिये व कुछ लोग मुझे दे गये वो मंैने एक माह पूर्व डीएफओ को दिये वहां भी बोला सूरु भाई ने लिस्ट दे दी है अब ये नहीं लग सकते। चौथा कि जब हम करोना में जिन्दगी दांव पर लगा कर अपने बच्चों को खतरे में डालकर काम कर सकते है तो चार साल में क़ुछ और काम नहीं कर सकते मेरे भी बीवी बच्चे है और मेरे प्रोग्राम व और काम बन्द पड़े है। मंै यह इस लिये लिख रहा हूं कि यह बात मैं पिछले तीन दिनो से मंत्री जी से रखने गया पर उन्होंने हंसी मजाक की पर ये नहीं पूछा कि मैं वहां क्यूं आया। मेरा आखरी सवाल जब सारे काम सूरु गुसांई व और लोगों ने ही करने है तो इस कोरोना में फिर मुझे अस्पताल बुला-बुला के न्यूज बनवाना, लोगों के गलत न्यूजों का जवाब देने मंत्री जी ने क्यों कहा। क्या मैं इन्सान नहीं यदि मैं भाई सुशील ङोबरियाल के जैसे स्वर्ग सिधार जाता तो मेरे बच्चों का क्या होता। मंैने पिछले तीन महीने से कमरे व ऑफिस का किराया व राशन और दूध का पैसा नहीं दिया क्योंकि सारे काम बन्द हैं तो मेरे बेच्चों का क्या होता। बस इस बात का दु:ख है। अब आखरी बात बस मंत्री जी आप मुझे बीजेपी अध्यक्ष की रैली के 80 हजार , कलाकारों के एक लाख व जो मैंने उधार लेकर जो कोरोना किट बांटी उसके पैसे दे दो क्योंकि सीएमएस ने हमें सिर्फ 30 किट दी है और हमने 300 से ज्यादा किट बांटी और जब उधार नहीं मिला तो बन्द करदी बस ये हिसाब कर दो बाकी मुझे कुछ नहीं चाहिये। मेरे पापा को कैंसर हुआ मेरे 12,13 लाख लगे जिसमे 5 लाख भाई ने दिये बाकी कर्जा अभी तक है उस समय आपने मेरा फोन भी नहीं उठाया और हंस वालो ने भी एक लाख दिया वो भी चैक पापा के मरने के बाद आया तो वापस हो गया। तब मैं बैंक का लोन नहीं भर पाया तो 18 लाख की आरसी कटी है। अनुकृति को महिला उत्थान में अपनी बीवी को काम पर रखने और अपने घर पर सैंटर खोलने को बोला पर उसने सारे कोटद्वार की महिला रखी पर हमें मौका नहीं दिया अब सोचो मन्त्री जी जब इतने के बाद मैं आपकी जय-जय कार करना नहीं छोड़ रहा तो अब क्या करूं। लोग तो आपसे लाखों कमा रहे और आप उनका फोन नहीं उठाते तो फेसबुक में बाजार में गाली देते दिखाई दे रहे क्या आपको यही पसंद है तो ठीक आप इन्हीं में मस्त रहे। आज अस्पताल का ऑफिस बन्द कर दूंगा अर ये पद भी छोड़ दूंगा। और आपने वास वीसन विकास भाई के हाथ भेजे एक बार हमें बता तो देते हम खुद उन्हें लगवाते सम्मान मिलता वो तो कौने फेंक कर चला गया। कुछ ये हिसाब देना है तो बुला लेना वरना मुझे तो कर्जा देना ही दे दूंगा पर थोड़ा सिस्टम बदलो भाइसाहब ये ठीक नहीं।’’

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