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पीएम मोदी के फोन ने सुगम की सूमी से छात्रों की निकासी, सुरक्षित निकाले गए सभी भारतीय

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सूमी, एजेंसी। बम और गोलीबारी के बीच यूक्रेन के युद्घग्रस्त क्षेत्र सूमी में 600 से ज्यादा बच्चों की सांसें अटकी हुई थीं। इसी के साथ भारत में उनके स्वजन की घबराहट भी बढ़ती जा रही थी। सोमवार को बच्चों को निकालने का प्रयास विफल रहने के बाद चिंता और भी बढ़ गई थी। इस घबराहट के बीच राहत की सांस तब आई जब कुछ घंटे बाद खबर मिली कि रूस और यूक्रेन सूमी में फंसे छात्रों को सुरक्षित रास्ता देने के लिए तैयार हो गए हैं।
चिंता से निश्चिंतता के बीच की इस दूरी को तय करने में फोन पर हुई एक बातचीत की भूमिका बहुत अहम रही। यह बातचीत थी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूक्रेन व रूस के राष्ट्रपतियों के बीच। सोमवार शाम को ही प्रधानमंत्री मोदी ने पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से करीब 35 मिनट और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीब 50 मिनट बात की। इस बातचीत में दोनों राष्ट्रपतियों को एक- दूसरे से सीधी बातचीत का सुझाव देने के साथ ही मोदी का पूरा जोर इस बात पर था कि वहां फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की जाए।
इस उच्च स्तरीय वार्ता के तुरंत बाद मास्को और कीव में अधिकारियों को निर्देश मिल गए थे कि सूमी में फंसे लोगों की निकासी के लिए सुरक्षित गलियारा बनाया जाए। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी लगातार रूस, यूक्रेन और पड़ोसी देशों में अपने समकक्ष से बातचीत कर स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। इस दौरान जेनेवा और यूक्रेन में कार्यरत रेडक्रास से भी संपर्क साधा गया, ताकि निकासी में कहीं कोई मुश्किल न हो। मंत्रालय के लोग वहां स्थानीय स्तर पर भी लगातार प्रशासन के संपर्क में बने रहे। अंततरू प्रयास सफल हुए और मंगलवार को बसों में बैठाकर सभी भारतीयों को सूमी से 175 किलोमीटर दक्षिण में पोल्टावा पहुंचा दिया गया।
यहां से बुधवार को सभी लोग ट्रेन में सवार होकर पश्चिमी यूक्रेन की ओर सुरक्षित सफर पर निकल पड़े। यूक्रेन से भारतीय दूतावास ने बुधवार को ट्रेन में सवार छात्रों की तस्वीर भी साझा की। दूतावास ने बताया कि ट्रेन से सभी लोगों को पोलैंड पहुंचाया जाएगा। आपरेशन गंगा के तहत चलाई जा रही उघ्घ्डानों से गुरवार को उन्हें भारत लाए जाने की उम्मीद है।
कूटनीतिक मोर्चे पर भरोसा मिलने के बाद भी छात्रों की वापसी की राह बहुत आसान नहीं थी। सूमी से बच्चों को बाहर निकालने के लिए बसों की व्यवस्था करना भी बघ्घ्डी चुनौती थी। एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय चालक बाहर जाने के लिए तैयार नहीं थे। हालांकि अधिकारियों ने अपने संपर्को की सहायता से अंततरू उम्मीद से ज्यादा बसों की व्यवस्था कर ली और सभी छात्रों को सुरक्षित निकाल लिया गया।

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