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किसान आंदोलन: भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने लगाया आवाज वाला उपकरण

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नई दिल्ली , एजेंसी। किसानों का आंदोलन एक बार फिर शुरू हो चुका है। फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी कानून और कर्जमाफी समेत 12 मांगों को लेकर दिल्ली कूच को आमादा किसान हरियाणा की सीमा पर डटे हैं। शंभू और दातासिंह वाला-खनौरी बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। इसी कड़ी में शुक्रवार को किसानों ने भारत बंद का आव्हान किया।
इससे पहले दिल्ली कूच की कोशिश कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने साउंड कैनन लगाया है। आइये जानते हैं कि साउंड कैनन चर्चा में क्यों है? यह डिवाइस क्या है? यह कैसे काम करती है? पहले कब इसका इस्तेमाल किया गया था?
पंजाब के किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का आव्हान किया था। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों को हरियाणा के अंबाला में शंभू सीमा पर बैरिकेड लगाकर रोक दिया गया। उधर दिल्ली कूच करने की कोशिश कर रहे किसानों ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश भी की। दिल्ली पुलिस ने भी प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। अपनी रणनीति में दिल्ली पुलिस ने नई तकनीकों का इस्तेमाल भी किया है। इसने भीड़ को दिल्ली पहुंचने पर तितर-बितर करने के लिए लॉन्ग-रेंज एकॉस्टिक डिवाइस (एलआरएडी) यानी साउंड कैनन को तैनात किया है।
साउंड कैनन एक खास तरह का लाउडस्पीकर है जो काफी दूरी तक तीव्र ध्वनि उत्पन्न करता है। इसकी डेसिबल क्षमता डिवाइस से एक मीटर पर मापी गई 160 डीबी तक होती है। जबकि मनुष्यों के लिए 50-60 डीबी तक की ध्वनि सुनने की क्षमता होती है। साउंड कैनन का इस्तेमाल भीड़ को काबू करने के लिए एक तरीके के रूप में किया जाता है। समुद्र में समुद्री डकैती से निपटने के लिए घेराबंदी की स्थितियों में बातचीत करने में यह डिवाइस काम आती है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं या अन्य आपात स्थितियों के दौरान बड़े पैमाने पर सूचना के लिए और कई नौसेनाओं सहित रक्षा बलों द्वारा भी इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।
एलआरएडी के काम करने के तरीके को समझने के लिए हमें उदाहरण से समझना चाहिए। मानें कि आप किसी पार्क में बैठकर पढ़ रहे हों, तभी वहां से कोई मार्च गुजर रहा हो। फिर यह तय करने के लिए एक एलआरएडी तैनात किया जाता है कि मार्च पुलिस द्वारा निर्धारित मार्ग पर ही चले।
यदि आप एलआरएडी के रास्ते के बीच में हैं तो आप पर भी अन्य लोगों की तरह ही असर पड़ेगा। सबसे पहले आप एक तीव्र आवृत्ति का शोर सुनेंगे, आपको चक्कर महसूस हो सकता है। आप काफी असहज महसूस करेंगे। बहुत देर इसे चालू रखा गया तो आप बीमार हो सकते हैं, आपके कानों में चुभन जैसा दर्द हो सकता है।
यह डिवाइस अमेरिकी मिसाइल विध्वंसक यूएसएस कोल पर आत्मघाती हमले के बाद आम इस्तेमाल में आई। साल 2000 में यमन में एक मिसाइल विध्वंसक पर जहाज आत्मघाती हमला किया गया था जिसमें 17 अमेरिकी नौसेना नाविक मारे गए थे और 37 घायल हुए थे। इस हमले के बाद अमेरिकी नौसेना ने साउंड कैनन डिवाइस स्थापित की। नौसेना को दूर से आने वाले जहाज के मकसद को जानने के लिए यह डिवाइस बनाई गई थी। इसका उपयोग करके नौसेना के लिए आने वाले जहाजों से संपर्क करना संभव हो गया, जो दूर से रेडियो कॉल का जवाब नहीं देते थे।
2002 में इस डिवाइस की शुरुआत की गई थी। इसके बाद से उपकरण को कई कामों में इस्तेमाल किया जाने लगा। उपयोग में चौकियां, भीड़ नियंत्रण, समुद्री शिपिंग, बड़े पैमाने पर सूचना, प्रारंभिक चेतावनी, सुरक्षा, सैन्य प्रयोग और वन्यजीव संरक्षण और नियंत्रण शामिल हैं।
इन उपकरणों का व्यापक रूप से संचार के लिए और विरोध प्रदर्शन सहित कई भीड़ नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाने लगा है। यह उपकरण चर्चा में तब आया जब इसका उपयोग ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा के 2022 के कोरोना वैक्सीन से जुड़े प्रदर्शनकारियों के खिलाफ किया गया था। इसके अलावा चेक गणराज्य जर्मनी, ग्रीस, जापान, न्यूजीलैंड, पोलैंड, सिंगापुर, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में समय-समय पर इसका इस्तेमाल किया गया है।

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