प्राइवेट डॉक्टर शुक्रवार को ओपीडी का बहिष्कार करेंगे
देहरादून। इडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े राज्य के प्राइवेट डॉक्टर शुक्रवार को ओपीडी का बहिष्कार करेंगे। आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार दिए जाने के विरोध में आईएमए के हड़ताल का निर्णय लिया है।
विदित है कि केंद्र सरकार ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार देने का निर्णय लिया है। इसके संदर्भ में कुछ दिनों पूर्व नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है। आईएमए के डॉक्टर केंद्र सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं।
आईएमए डॉक्टरों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से देश में मिक्सचर पैथी को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस फैसले पर विचार करना चाहिए। इसी को देखते हुए आईएमए ने देशभर में शुक्रवार को ओपीडी बहिष्कार का निर्णय लिया है।
आईएमए के प्रदेश महासचिव डॉ अजय खन्ना ने बताया कि शुक्रवार को राज्य के सभी आईएमए से जुड़े प्राइवेट डॉक्टर सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक ओपीडी का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने बताया कि सभी जिलों को इस संदर्भ में पत्र भेजकर आंदोलन की पूरी रूपरेखा दी गई है।
उन्होंने बताया कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों, कोरोना मरीजों और इमरजेंसी मरीजों का पूरा इलाज किया जाएगा। ये सेवाएं हड़ताल में शामिल नहीं हैं। इधर आईएमए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ डीडी चौधरी ने कहा कि अभी सिर्फ एक दिन ओपीडी बहिष्कार का निर्णय लिया गया है। 27 और 28 दिसम्बर को चेन्नई में आईएमए की राष्ट्रीय बॉडी की मीटिंग रखी गई है जिसमें आगे के आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
आईएमए का विरोध पूरी तरह गलत
इधर राज्य के सरकारी और प्राइवेट आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने आईएमए के विरोध को पूरी तरह गलत बताया है। आयुर्वेद विभाग के निदेशक डॉ वाईएस रावत ने कहा कि आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार देने से देश की स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा होगा और लोगों को सस्ता व सरल इलाज मिलेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य के लिए यह निर्णय सबसे अहम साबित होगा। आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सकों के संघ के प्रदेश महासचिव डॉ हरदेव रावत ने कहा कि आईएमए डॉक्टरों का विरोध पूरी तरह गलत है और इसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है और आयुर्वेद डॉक्टर सरकार के साथ पूरी तरह खड़े हैं। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो राज्य के आयुर्वेद डॉक्टर कहीं भी अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं।
इधर आयुर्वेदिक डॉक्टरों की रेगुलेटरी अथॉरिटी भारतीय चिकित्सा परिषद ने भी आईएमए के हड़ताल के कदम का विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष डॉ दर्शन कुमार शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद बहुत प्राचाीन चिकित्सा पद्धति है और उसमें सर्जरी का वर्णन बहुत पहले से है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद डॉक्टरों ने हमेशा ही अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाया है और आगे भी जारी रखेंगे। भारतीय चिकित्सा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ जेएन नौटियाल ने कहा कि आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार बहुत पहले दे दिया जाना चाहिए था। उन्होंने केंद्र के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आने वाले समय में इससे राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा होगा।