उत्तराखंड

हाईकोर्ट शिफ्टिंग के विरोध में निकाला जुलूस

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नैनीताल। हाईकोर्ट को मैदानी क्षेत्रों में शिफ्ट करने का विरोध कर रहे अधिवक्ता व संगठनों ने मंगलवार को पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले जुलसू निकाला। रामसेवक सभा से शुरू हुआ जुलूस मल रोड से होते हुए तल्लीताल डांट पर समाप्त हुआ। जुलूस में लोगों ने हाईकोर्ट के मैदानी क्षेत्रों में शिफ्टिंग का निर्णय वापस लेने की मांग उठाई। वहीं इसके विरोध में आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया। मंगलवार को जुलूस से पहले सभा में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सैयद नदीम मून ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार नैनीताल से हाईकोर्ट को विस्थापित कर उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों और शहीदों के बलिदान से खिलवाड़ कर रही है। नैनीताल के पूर्व सांसद व हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र पाल ने कहा कि सरकार प्रदेश में स्थाई राजधानी के मामले पर कोई फैसला नहीं कर पा रही है ऐसे में हाई कोर्ट को नैनीताल से विस्थापित करना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है। सभा के बाद रामसेवक सभा में एकत्र हुए सभी लोग मल्लीताल बाजार, मल रोड होते हुए तल्लीताल गांधी चौक पर पहुंचे। गांधी चौक पर व्यापार मंडल अध्यक्ष मारुति नंदन साह ने कहा कि नैनीताल से हाईकोर्ट को किसी भी स्थिति में विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। उत्तराखंड निर्माण के बाद हाईकोर्ट स्थाई रूप से बनाया गया था, जिसे नैनीताल से किसी दूसरे जगह भी स्थापित करना गलत होगा। पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के संस्थापक नितिन कार्की ने कहा कि उत्तराखंड का निर्माण पर्वतीय राज्य के विकास के लिए हुआ था, लेकिन आज मैदानी क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। लिहाजा पहाड़ों से सरकारी कार्यालयों और हाईकोर्ट को मैदानी क्षेत्रों में ले जाना उत्तराखंड वासियों का अपमान है। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मुन्नी तिवारी का कहना है कि उत्तराखंड निर्माण के बाद जब सरकार नैनीताल में हाईकोर्ट का निर्माण कर रही थी। उस समय महिला राज्य आंदोलनकारी संघ ने नैनीताल में हाईकोर्ट निर्माण का पुरजोर विरोध किया था। जिसके बावजूद भी सरकार ने हाईकोर्ट नैनीताल में बनाया और अब जब करोड़ों रुपये खर्च कर हाईकोर्ट को स्थाई रूप से स्थापित कर दिया है तो सरकार उसे मैदानी क्षेत्र में बनाने जा रही है। जिसका अब समस्त क्षेत्रवासी विरोध कर रहे हैं।

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