क्वारंटीन सेंटर के खाने में मिले कीड़े, प्रवासियों ने खाने से किया इंकार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रशासन बाहर से आये लोगों की रहने की व्यवस्था क्वारंटाइन सेंटर में कर रहा है, लेकिन क्वारंटाइन सेंटर में व्यवस्था राम भरोसे ही चल रही है। ऐसा ही मामला गुरू राम राय पब्लिक पदमपुर के क्वारंटाइन सेंटर में सामने आया है। गुरूवार रात को इस क्वारंटाइन सेंटर में प्रवासियों को दिए गए खाने में कीड़े मिले। जिस पर प्रवासियों ने खाने का बहिष्कार कर हंगामा किया। हंगामे की सूचना पर मौके पर पहुंची प्रशासन की टीम ने किसी तरह से मामले को शांत कराया। इससे पूर्व भी ग्रास्टनगंज में संचालित हो रही मोदी किचन में भी चालक-परिचालकों को परोसे गये खाने में कीड़े मिले थे। समाज सेवियों ने उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मामले का संज्ञान लेकर संबंधित नोडल अधिकारी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की।
उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा को ज्ञापन सौंपते हुए पार्षद कविता मित्तल, मीनाक्षी कोटनाला, राजेन्द्र सिंह गुसांई, आशीष जदली सचिव आशीषम फाउंडेशन ने कहा कि बाहरी राज्यों से लगातार सैकड़ों प्रवासी उत्तराखंडियों के वापस लौटेने का सिलसिला जारी है। प्रशासन की ओर से रेड जोन से आने वाले प्रवासियों को निर्धारित अवधि तक कोटद्वार में बनाये गये विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों में क्वारंटीन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से क्वारंटीन सेंटरों से शिकायत आ रही है कि उन्हें जो खाना परोसा जा रहा है उसमें कीड़े है। पूर्व में ग्रास्टनगंज में संचालित हो रही मोदी किचन में भी चालक-परिचालकों को परोसे गये खाने में कीड़े मिले थे। वहीं राजकीय महाविद्यालय में भी प्रवासियों को कीड़े वाला खाना खिलाया गया। इस संबंध में पूर्व में भी प्रशासन को अवगत करा दिया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजा गुरूवार रात को भी एसजीआरआर पदमपुर में क्वारंटीन प्रवासियों को दिये गये खाने में कीड़े दिखाई दिये। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि उक्त भोजन व्यवस्था हेतु राज्य सरकार, जिला प्रशासन द्वारा किसी फर्म/ठेकेदार को भुगतान किया जा रहा है तो संबंधित फर्म, ठेकेदार के विरूद्ध आपदा एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार के खाने से बुजुर्ग और बच्चो की तबीयत खराब हो सकती है।
उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा ने कहा कि सामाजिक संस्थाओं ने आगे आकर प्रशासन का साथ देने के लिए प्रवासियों को नि:शुल्क भोजन कराने का आग्रह किया था। जिस पर सामाजिक संस्थाओं को भोजन व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने कहा कि अभी तक भोजन व्यवस्था पर प्रशासन की ओर से एक भी रूपया खर्च नहीं किया गया है। सामाजिक संस्थाओं को सेवा देते हुए दो माह का समय हो गया है। संस्था अब ब्रेक चाहती है। उन्होंने कहा कि अब भोजन की व्यवस्था को टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया जायेगा। इसके लिए जिलाधिकारी का अनुमोदन प्राप्त हो गया है। एक सप्ताह के अंदर टेंडर प्रक्रिया से प्रवासियों को बेहतर भोजन उपलब्ध कराया जायेगा।