उत्तराखंड

जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र में आधार नंबर दर्ज नहीं करने पर सवाल

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देहरादून। खुड़बुड़ा मोहल्ला निवासी रीटा सूरी ने नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग द्वारा जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र पर आधार नंबर अंकित नहीं करने को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सूचना आयोग में इस मामले की शिकायत दर्ज की थी। मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने नगर निगम समेत अन्य निकायों को भी व्यवस्था लागू करने का आदेश जारी किया है। रीटा सूरी ने रविवार को स्वर्गीय अधिवक्ता राजेश कुमार के कचहरी स्थित चौंबर में प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग ने उन्हें आरटीआई में जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र में आधार नंबर दर्ज नहीं करने को लेकर लंबे समय तक गुमराह किया। उन्होंने कहा कि कलम होने के बावजूद आधार नंबर दर्ज नहीं करना गंभीर विषय है। इसकी शिकायत सूचना आयोग में दर्ज करवाई गई। राज्य सूचना आयुक्त ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि प्रमाण पत्र एक प्रमाणिक वैध अभिलेख के रूप में मान्य है। इसलिए इसमें संबंधित की पहचान के रूप में आधार नंबर दर्ज होना चाहिए। प्रदेश में यदि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्रों पर आधार कार्ड नंबर दर्ज नहीं किए जा रहे तो यह उचित नहीं है। कहीं पर अपरिहार्य परिस्थितियों के चलते यह अनिवार्य न हो। लेकिन सामान्यतरू जन्म प्रमाण पत्रों में माता पिता का आधार और मृत्यु प्रमाण पत्र में मृतक का आधार कार्ड नंबर दर्ज होना ही चाहिए। इससे इस दस्तावेज की प्रमाणिक्ता और मजबूत होगी। उन्होंने शहरी विकास और पंचायती राज सचिव को इस संबंध में जरूरी दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। रीटा सूरी ने कहा कि यह व्यवस्था पड़ोसी राज्य यूपी तक में लागू है। उन्होंने कहा कि इससे नौकरी और पेंशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। उधर मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी ड अविनाश खन्ना ने कहा कि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार आधार कार्ड नंबर नहीं होने पर आवेदक को जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र देने से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जो आधार उपलब्ध करवा रहे हैं, वह प्रमाण पत्र में दर्ज किए जा रहे हैं।

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