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तवांग में एलएसी पर चीन से जारी तनाव के बीच वायुसेना का बड़ा युद्घाभ्यास, राफेल और सुखोई शामिल

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नई दिल्ली, एजेंसी। तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प से पैदा हुए हालात के बीच भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश समेत पूर्वोत्तर के इलाके में गुरुवार से दो दिन का बड़ा युद्घाभ्यास शुरू किया। इस अभ्यास में अत्याधुनिक लड़ाकू जेट राफेल और सुखोई समेत भारतीय वायुसेना के लगभग सभी फ्रंट लाइन लड़ाकू विमान हिस्सा ले रहे हैं। पीएलए के साथ झड़प से बने तनाव की स्थिति के बीच युद्घाभ्यास के पहले दिन वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के समीप से लेकर समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र को कवर करते अपनी सैन्य क्षमताओं को परखा। हालांकि वायुसेना ने यह जरूर साफ कर दिया कि यह युद्घाभ्यास किसी भी तरह तवांग सेक्टर में हुई घटना से जुड़ा नहीं है और यह अभ्यास पहले से तय था।
वायुसेना से जुड़े अधिकारी ने साफ किया कि युद्घाभ्यास की योजना काफी पहले बनाई गई थी और तवांग क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों से इसका कोई सरोकार नहीं है। इस अभ्यास का मकसद वायुसेना के उड़ान दल के दस्तों के प्रशिक्षण की निरंतरता को बनाए रखना है। सभी फ्रंट लाइन लड़ाकू विमानों के अलावा ग्राउंड से जुड़े कई तरह के सैन्य संसाधनों को भी अभ्यास में शामिल किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि किसी भी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए वायुसेना की तैयारियों को परखना भी इस अभ्यास का लक्ष्य है। राफेल और सुखोई के अलावा सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट शुक्रवार को भी अपने युद्घाभ्यास को जारी रखते हुए पूरा करेंगे। वैसे तवांग में एलएसी पर पीएलए के साथ झड़प के बाद वायुसेना ने अपनी सतर्कता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा दी है और अरुणाचल के इलाके में हवाई पेट्रोलिंग भी हो रही है।
सेना और वायुसेना पूर्वी लद्दाख के अग्रिम मोर्चो के साथ अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम क्षेत्र में एलएसी पर अपनी आपरेशन सक्रियता पिछले दो साल से अधिक समय से लगातार बनाए हुए हैं। भारतीय सेनाओं की यह सर्तकता ही चीनी सैनिकों के मंसूबों को नाकाम कर रही है। वायुसेना ने पिछले हफ्ते तवांग सेक्टर में एलएसी के करीब चीन की बढ़ती हवाई सक्रियता को देखते हुए अपने लड़ाकू विमानों को भी करीब के इलाके में उतारा। खास बात यह भी रही कि पूर्वोत्तर में इस महत्वपूर्ण युद्घाभ्यास के दिन ही भारतीय वायुसेना को फ्रांस से आने वाला अंतिम राफेल विमान भी इसके बेड़े में शामिल हो गया। वायुसेना ने टवीट कर इसकी जानकारी दी।
राफेल के 18 विमानों का एक बेड़ा अंबाला में है। वहीं हासीमारा स्थिति वायुसेना के पूर्वी कमान में भी राफेल का एक बेड़ा है। फ्रांस से आया अंतिम राफेल जेट हासीमारा स्थिति इसके बेड़े का हिस्सा बन गया। पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई 2020 से एलएसी पर चीनी सेना अतिक्रमण का लगातार प्रयास कर रही है और जून 2020 में गलवन घाटी के खूनी संघर्ष के बाद गतिरोध कायम है। इसी बीच पिछले दो साल से चीन एलएसी पर दोहरी रणनीति अपनाते हुए अरुणाचल से जुड़े इलाकों में अतिक्रमण की नाकाम कोशिशें कर रहा है।
पिछले साल भी पेट्रोलिंग के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हुए थे मगर स्थापित सैन्य प्रोटोकल के तहत बातचीत से टकराव टल गया था। सूत्रों के अनुसार तवांग में नौ दिसंबर की ताजा झड़प के दौरान भी इस इलाके में चीन ने ड्रोन सहित कुछ हवाई प्लेटफार्मों की तैनाती के जरिए यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की थी। लेकिन मुस्तैद भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को वहां से पीटे हटने को मजबूर कर दिया।

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