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राज्य मंत्री रेखा आर्य के बचाव में आये सतपाल महाराज

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देहरादून। राज्य मंत्री रेखा आर्य का बचाव करते हुए मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में मंत्रियों के द्वारा विभागीय सचिव की सीआरलिखी जाए। पूर्व की व्यवस्था को उत्तराखंड में भी लागू किया जाए। इस व्यवस्था के लागू न होने से अफसर बेलगाम हो रहे हैं। अपर सचिव वी षणमुगम के मामले पर सतपाल महाराज ने कहा कि मामले की जांच का पूरा होना जरूरी है।
सरकार असहज तो विपक्ष को मिल रहा मुद्दा
मंत्रियों, विधायकों और अफसरों के बीच विवाद के मामले प्रदेश में बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे विवादों में एक तरफ सरकार असहज हो रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष को भी बैठे बिठाए मुद्दा मिल रहा है। सरकार को इस तरह का असहज करने का ताजा मामला महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य और आईएएस अधिकारी षणमुगम का है। इस विवाद की गूंज सदन में भी सुनाई दी। हाल यह हुुआ कि मुख्यमंत्री को इसमें जांच का आदेश देकर हस्तक्षेप करना पड़ा है।यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले सत्ता पक्ष के विधायक पूरण फर्तवाल भी अपनी सरकार क खिलाफ दिल्ली तक शिकायत कर आए। एक दिन के सत्र में भी फर्त्याल ने जौलजीबी सड़क के मामले में एक ठेकेदार को काम दिए जाने के मामले में कार्यस्थगन तक का प्रस्ताव ले आए थे। विपक्ष अब इसे सरकार के प्रति सत्ता पक्ष के विधायकों के अविश्वास के रूप में देख रहा है।सदन में संख्या बल के आधार पर महफूज सरकार इस मामले को किसी तरह से पचा पाने में सफल हो पाई। इसी तरह किच्छा विधायक राजेश शुक्ला के मामले में भी सरकार को असहज होना पड़ रहा है। राजेश शुक्ला इस मामले को सदन में ही विशेषाधिकार हनन के रूप में ले आए। राजेश शुक्ला ही हैं जिनके खिलाफ कांग्रेस दिग्गज हरीश रावत को बीते चुनाव में हार का स्वाद चखना पड़ा था। शुक्ला की तकलीफ यह है कि ऊधमसिंह नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी के साथ विवाद के गवाह बने मंत्री मदन कौशिक इस मामले में चुप्पी साध गए।
सीएस को करने पड़े थे आदेश जारी
भाजपा के कद्दावर मंत्री मदन कौशिक तक अफसर-मंत्री विवाद में उलझ गए थे। कुंभ की महत्वपूर्ण बैठक में सचिव के न पहुंचने पर कौशिक नाराज हो गए थे। यह विवाद इतना बढ़ा कि सीएम के निर्देश पर सीएस को आदेश जारी करना पड़ा था कि अधिकारी मंत्रियों की बैठक से बिना बताए गायब नहीं होंगे।
शिक्षा मंत्री पांडे भी पहुंच गए थे दिल्ली
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की नाराजगी भी खुलकर सामने आई थी। अरविंद पांडे ने यह कहकर सरकार को असहज किया था कि वे जिलाधिकारी की शिकायत दिल्ली जाकर करेंगे।
बैठे बिठाए विपक्ष को मिल रहे मुद्दे
मंत्रियों और अफसरों के बीच की दूरी का ही सबब है कि विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दे मिल जा रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने बृहस्पतिवार को यह मुद्दा उठाया भी। इससे पहले भी प्रीतम सिंह इन मामलों को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे हैं।

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