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राम मंदिर : देवभूमि के धार्मिक स्थलों से एकत्र की गई मिट्टी और जल

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देहरादून । देश के अन्य हिस्सों की भांति देवभूमि उत्तराखंड से भी चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत अन्य मठ-मंदिरों की माटी और गंगा-यमुना जैसी सभी नदियों का पवित्र जल अयोध्या भेजा जाएगा। इसका बीड़ा विश्व हिंदू परिषद ने उठाया है। इसी के तहत श्री राम जन्मभूमि भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम के लिए देवभूमि उत्तराखंड से बदरीनाथ धाम समेत अन्य धार्मिक स्थलों से जल और रेती एकत्रित की गई। हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड से एकत्रित जल और रेती को दो अगस्त को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य युगपुरुष महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज अयोध्या लेकर जाएंगे। फिलहाल, गंगाजल और रेती को अखंड परम धाम हरिद्वार में रखा गया है। कलश भरने से पहले पूर्ण विधि-विधान के साथ गंगा पूजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, महामंडलेश्वर परमानंद गिरी महाराज, बड़े अखाड़े के महंत दामोदरदास, निर्वाणी अखाड़ा के महंत रविंद्रपुरी, चेतन ज्योति आश्रम के स्वामीाषिश्वरानंद, विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष नितिन गौतम, रवि देवानंद केंद्रीय मंत्री विहिप, क्षेत्रीय संगठन मंत्री मनोज वर्मा, प्रांत सह संगठन मंत्री अजय, प्रांत संयोजक अमित वालिया, प्रांत संत संपर्क प्रमुख राकेश बजरंगी, विकास प्रधान, संघ के विभाग प्रचारक शरद, क्षेत्र प्रचार प्रमुख पद्म, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आशीष गौतम, संजय चतुर्वेदी, अखिल भारतीय युवा साधु समाज के रवि देव शास्त्री, महंत दिनेश दास समेत बड़ी संख्या में संत मौजूद रहे। अस्थि विसर्जन कार्यक्रम और हल्की बूंदाबांदी के चलते निर्धारित समय से थोड़ा देरी से कार्यक्रम शुरू हुआ। वहीं, राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम से विहिप के कार्यकर्ता गंगाजल और मिट्टी को लेकर हरिद्वार के लिए रवाना होंगे। विश्वनाथ मंदिर में उत्तरकाशी से भी भव्य राम मंदिर भूमि पूजन के लिए मिट्टी भेजी जाएगी। इसको लेकर आज विश्वनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारी विहिप के कार्यकर्ताओं को मिट्टी सौंपेंगे। नई टिहरी के सुरकंडा, चंद्रबदनी, कुंजापुरी, देवप्रयाग संगम, बूढ़ाकेदार और अन्य धार्मिक स्थलों से मिट्टी और स्थानीय नदियों का जल लेकर टिहरी से रामभक्त और भाजपा-विहिप कार्यकर्ता अयोध्या के लिए रवाना हुए हैं।


राम मंदिर परिसर के करीब स्थित 8 मस्जिदें और 2 मकबरे भूमि पूजन से पहले दे रहीं सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश
अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को निर्धारित भूमि पूजन में कुछ ही दिन शेष रहने के बीच, राम जन्मभूमि परिसर से सटी मस्जिदें हिंदू एवं मुस्लिमों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश दे रही हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए सौंपी गई 70 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर के करीब आठ मस्जिदें और दो मकबरे स्थित हैं। स्थानीय हिंदुओं की तरफ से बिना किसी आपत्ति के इन मस्जिदों में अजान और नमाज पढ़ी जाती हैं और मकबरों में वार्षिक ‘उर्स’ का आयोजन किया जाता है। रामजन्मभूमि परिसर के पास स्थित आठ मस्जिदें- मस्जिद दोराहीकुआं, मस्जिद माली मंदिर के बगल, मस्जिद काजियाना अच्छन के बगल, मस्जिद इमामबाड़ा, मस्जिद रियाज के बगल, मस्जिद बदर पांजीटोला, मस्जिद मदार शाह और मस्जिद तेहरीबाजार जोगियों की हैं। दो मकबरों के नाम खानकाहे मुजफ्फरिया और इमामबाड़ा है। राम कोट वार्ड के पार्षद हाजी असद अहमद ने कहा, ‘‘यह अयोध्या की महानता है कि राम मंदिर के आस-पास स्थित मस्जिदें पूरे विश्व को सांप्रदायिक सद्भाव का मजबूत संदेश दे रही हैं।’’ राम जन्मभूमि परिसर अहमद के वार्ड में स्थित है। पार्षद ने कहा, मुस्लिम बारावफात का ‘जुलूस’ निकालते हैं जो राम जन्मभूमि की परिधि से होकर गुजरता है। मुस्लिमों के सभी कार्यक्रमों एवं रस्मों का उनके साथी नागरिक सम्मान करते हैं। राम जन्मभूमि परिसर के पास मस्जिदों की मौजूद्गी के बारे में टिप्पणी करने के लिए कहने पर, मंदिर के मुख्य पुजारी, आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, हमारा विवाद बस उस ढांचे से था जो बाबर (मुगल शासक) के नाम से जुड़ा था।

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