कोटद्वार-पौड़ी

प्रशासन ने अनियमितता पाये जाने पर आरबीएम स्टॉक किया सीज

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार भाबर की नदियों से अवैध खनन का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। नदियों से डंपर दिन-रात खुल्लेआम आरबीएम लेकर जा रहे है। लेकिन इन वाहनों को देखने वाला कोई नहीं है। परिवहन विभाग तो इन वाहनों पर कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। राजस्व विभाग ओवर लोड डंपरों पर कार्यवाही करता रहता है। प्रशासन ने अनियमितता पाई जाने पर बीईएल रोड पर स्थित आरबीएम के एक स्टॉक को सीज कर दिया है। गत शनिवार को भी बीईएल रोड पर उपजिलाधिकारी कोटद्वार ने एक ओवर लोड डंपर को सीज किया था।
उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा ने बताया कि अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए रेंडम चेंकिग लगातार की जा रही है। तहसीलदार द्वारा गत शनिवार को रविवार को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। बीईएल रोड़ पर स्थित एक स्टॉक के दस्तावेजों की जब जांच की गई तो स्टॉक पर जितनी मात्रा में आरबीएम होना चाहिए था, उससे 1 हजार टन से अधिक आरबीएम कम पाया गया। जिससे ज्ञात हुआ कि स्टॉक से आरबीएम की निकासी तो कहीं की गई है, लेकिन रवन्ना नहीं काटा गया है। जो खनन नियमावली का उल्लंघन है। एसडीएम ने बताया कि अनियमितता पाये जाने पर आरबीएम के स्टॉक को सीज कर दिया गया है। साथ ही ऑनलाइन पोर्टल को भी बंद कर दिया है। जिलाधिकारी को इसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि कोटद्वार में एक समस्या विशेषतौर पर आती है कि जिन स्थानों पर अवैध रूप से नदी किनारे खाली प्लाट में आरबीएम जमा किया जा रहा है और इस बारे में प्लाट के स्वामी को पता नहीं होता है। लोगोें को समय-समय पर अपने प्लाट का मुआयना करना चाहिए, ताकि कोई उनके प्लाट पर गैरकानूनी रूप से आरबीएम का भंडारण न कर सके। एसडीएम ने कहा कि कोटद्वार से निकासी के दो ही रास्ते है एक कौड़िया चेक पोस्ट और दूसरा चिल्लरखाल पोस्ट से। ओवर लोड डंपरों व अवैध रूप से आरबीएम ले जाने वाले वाहनों पर कार्यवाही करने के लिए खनन विभाग व राजस्व विभाग को लगातार निर्देशित किया जा रहा है।
बॉक्स समाचार
सुखरौ नदी में वन विभाग के चैनेलाइजेशन पर लगाई रोक
कोटद्वार। कोटद्वार में सुखरौ नदी में नियमों के विपरीत हो रहे चैनेलाइजेशन के नाम पर हो रहे खनन कार्य पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा ने बताया कि लोक निर्माण विभाग की टीम ने सुखरौ नदी के डाउनस्ट्रीम का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि चैनेलाइजेशन में वन विभाग की ओर से जिस कार्यदायी संस्था को कार्यादेश जारी किया गया उस कार्यदायी संस्था ने कार्यादेशों की शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया है। कार्यदायी संस्था के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ को पत्र प्रेषित किया गया है। एसडीएम ने बताया कि अग्रिम आदेशों तक सुखरौ नदी के डाउनस्ट्रीम में चैनेलाइजेशन के कार्य पर रोकने के आदेश दिये है।
बता दें कि लैंसडौन वन प्रभाग की ओर से पिछले लंबे समय से सुखरौ और मालन नदियों में चैनेलाइनजेशन के नाम पर नियमों को ताक पर रखकर खनन करवाया जा रहा है। गत शुक्रवार रात को हुई मूसलाधार बारिश से सुखरौ नदी उफान पर आई। नदी के बहाव में जहां सत्तीचौड़-निंबूचौड़ मोटर मार्ग बह गया वहीं सुखरौ पुल को खतरा बन गया। रविवार को सुखरौ नदी पुल का लोक निर्माण विभाग की टीम ने निरीक्षण किया। इस दौरान पाया गया कि पुल के डाउन स्ट्रीम में करीब तीन सौ मीटर के दायरे में जेसीबी से उपखनिज का उठान किया जा रहा था। ऐसे में पुल के पिलरों को नुकसान होने की भी संभावना है। सूचना मिलते ही तहसीलदार विकास अवस्थी के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची। मौके पर टीम को तीन जेसीबी व ट्रैक्टर-टाली मिली। लोक निर्माण विभाग व तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा ने सुखरो नदी के डाउनस्ट्रीम में हो रहे चैनेलाइनजेशन कार्य पर रोक लगाने के निर्देश दिये है। साथ ही इस संबंध में वन विभाग को भी लिखित सूचना भेज दी गई है।

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