उत्तराखंड

दुनिया के चिंतक कल्याण की अपेक्षा हमसे कर रहे रू भागवत

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हरिद्वार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि समष्टि को कल्याण की आवश्यकता है। दुनिया की परिस्थिति ऐसी है कि दुनिया के सारे चिंतक कल्याण की अपेक्षा हमसे कर रहे हैं। हमारे देश में भी इस कर्तव्य को पूरा करने की योग्यता और निर्माण करने का जो प्रयास चल रहा है, उसका आधार भी समष्टि कल्याण का सूत्र है। इसलिए हमको थोड़ा विचार करना है। समष्टि की हमारी कल्पना वशिष्ठ है। दुनिया में ऐसी कल्पना किसी की नहीं है। हम जब समष्टि कहते हैं तो उसमें भी हम सर्वे सुखंतु वाली बात करते हैं। यह बातें सरसंघचालक ने हरिहर आश्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहीं। रविवार को कनखल के हरिहर आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव ‘दिव्यता के 25 वर्ष में सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। महोत्सव में धर्म सभा की अध्यक्षता करते हुए सरसंघचालक ने समष्टि के कल्याण के विभिन्न सूत्रों पर प्रकाश डाला। भागवत ने कहा कि विश्व कल्याण की कामना हम कर रहे हैं। इसमें भी विश्व कल्याण की भय मुक्त कामना की कल्पना करते हैं। सनातन हमेशा था, हमेशा है और हमेशा रहेगा। सृष्टि का कल्याण केवल सनातन में है। अगर हम अपना जीवन बदलें तो दुनिया में बदलाव आएगा और भारत फिर से विश्व गुरु बनेगा। सभी कल्याणकारी सनातन वर्ण का पालन करें तो दुनिया का भला होगा और हमारा भी भला होगा। कल्याण की हमारी कल्पना वशिष्ठ है। दूसरे देशों की तरह भौतिक उन्नति को हम उन्नति नहीं मानते हैं और भौतिक उन्नति को छोड़ दें तो भी हम उन्नति नहीं मानते। हम पुरुषार्थ करते हैं। हमारी प्रार्थना में विश्व की बातें आती हैं। सब मनुष्य को सुख प्राप्ति के सभी साधन उपलब्ध रहें। यह हम प्रार्थना करते हैं। मन से भी सब निरामय हो यह कामना है। दुनिया समष्टि और कल्याण की कल्पनाएं सनातन के प्रकाश में ग्रहण करें। जो रहेगा वही सनातन है। सत्य, करुणा, शुचिता और तपस्या समष्टि के कल्याण के सूत्र हैं।

 

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