रूसी अंतरिक्ष एजेंसी प्रमुख ने अमेरिका को चेताया, भारत पर गिर सकता है 500 टन का आइएसएस
मास्को, एजेंसी। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि मास्को पर लगाए गए प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आइएसएस) पर उनके सहयोग को समाप्त कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने अमेरिका से पूछा कि क्या वह भारत व चीन को खतरे में डालना चाहता है, क्योंकि उन पर आइएसएस का 500 टन वजनी ढांचा गिरने की आशंका पैदा हो सकती है। रूस व अमेरिका आइएसएस कार्यक्रम के प्रमुख भागीदार हैं, जबकि कनाडा, जापान, फ्रांस, इटली व स्पेन जैसे कई यूरोपीय देश भी इसमें शामिल हैं। आइएसएस में फिलहाल नासा के चार, रूस के दो व यूरोप का एक अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं।
यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को नए प्रतिबंधों का एलान करते हुए कहा था कि रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम सहित उसके एयरोस्पेस उद्योग को हतोत्साहित किया जाएगा। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के महानिदेशक दिमित्री रोगोजिन ने शुक्रवार को कहा कि आइएसएस की कक्षा और अंतरिक्ष की लोकेशन रूसी इंजनों द्वारा नियंत्रित होते हैं। रोगोजिन ने रूसी भाषा में ट्वीट किया, श्यदि आप हमारे साथ सहयोग को बाधित करते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) को अनियंत्रित होकर कक्षा से बाहर जाने और अमेरिका या यूरोप में गिरने से कौन बचाएगा? आशंका है कि यह ढांचा भारत या चीन पर गिर जाए। क्या आप उन्हें ऐसे खतरे में डालना चाहते हैं? आइएसएस रूस के ऊपर से उड़ान नहीं भरता, इसलिए सारे खतरे आपके हैं। क्या आप उनके लिए तैयार हैं?श् उन्होंने कहा है कि आइएसएस का रूसी सेगमेंट पूरे कांप्लेक्स के मार्गदर्शन, नेविगेशन व नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।
रोगोजिन ने शनिवार को कहा कि अमेरिका अब संयुक्त अंतरिक्ष परियोजना वेनेरा-डी का हिस्सा नहीं रहेगा। इस परियोजना को रूस अकेला अथवा चीन की साझेदारी के साथ पूरा करेगा। वेनेरा-डी शुक्र ग्रह के बारे में जानकारियां जुटाने वाली रोस्कोस्मोस व नासा की संयुक्त परियोजना है। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी टास ने रोगोजिन के हवाले से कहा, श्प्रतिबंधों के कारण अमेरिका का इस परियोजना में शामिल रहना असंभव हो गया है।श् उन्होंने कहा कि शुक्रवार को ही सभी शोध मिशन के संबंध में चीन के साथ बातचीत शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।